
नई दिल्ली: दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदुषण के कारण आलम ऐसा पैदा हो गया है कि यहाँ के सबसे बड़े अस्पताल एम्स की इमरजेंसी में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। लोगों को अस्पताल की एमरजेंसी में दाखिल करना पड़ रहा है। दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदुषण के कारण एम्स सहित चार अस्पतालों ने जो खुलासे किए हैं, वो वेहद ही चौंकाने वाले हैं। चारों अस्पतालों की एक स्टडी से इस बात का पता चला है कि इस वायु प्रदुषण से लोगों को सिर्फ सांसों की दिक्कत नहीं हो रही है बल्कि ये उन लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है जो डायबिटिज या फिर दिल की बीमारी के शिकार हैं।
इस स्टडी में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि एम्स की एमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में करीब करीब 53 फीसदी का इजाफा हुआ है। मतलब साफ है कि अभी एम्स के एमरजेंसी में जितने मरीज भर्ती हैं, उनमें से आधे मरीज दिल्ली की प्रदुषण की वजह से भर्ती हैं। हैरान करने वाली बात तो ये है कि दिल्ली की इस वायु प्रदुषण की वजह से 68 फीसदी मरीज किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त हैं जबकि 20 फीसदी मरीज सांस की परेशानी की वजह से भर्ती हैं। मरीजों में ऐसे 95 फीसदी मरीज थे, जिन्हें सांस लेने में परेशानी थी और करीब 74 फीसदी मरीज बुरी तरह से खांस रहे थे।

इस स्टडी में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि लोगों को नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर्स की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। स्टडी में पाया गया है कि गाड़ियों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस फेफड़ों और सांस की नली में बीमारी पैदा कर रही है। इसकी वजह से ही लोग खांस ले रहे हैं और उन्हें सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। वहीं दूसरी तरफ पार्टिकुलेट मैटर यानी धूल कण हैं जो निर्माण कार्य और पराली जलाने से उठने वाले धुएं से पैदा होते हैं। ये पार्टिकल्स सांस की नली सहित आर्टरी तक पहुंच कर सूजन बढ़ा रहे हैं और गले में और नाक के माध्यम से खराश पैदा कर रहे हैं।
ऐसे माहौल में डॉक्टर्स सलाह दे रहे हैं कि दिल्ली वालों को तुरंत मॉर्निंग वॉक रोक देनी चाहिए। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि प्रदूषण के कण ज्यादा संख्या में नीचे मौजूद रहते हैं। हालांकि डॉक्टर्स शाम की सैर के लिए भी मनाही कर रहे हैं। उनका कहना है कि धूप निकलने के बाद ही कसरत करें। साधारम मास्क या फिर n95 मास्क लगाएं। अधिक मात्रा में पानी और फ्रेश जूस लेते रहें।