
नई दिल्ली: 19 सितंबर, दिन – मंगलवार, मौका गणेश चतुर्थी का और इस पवित्र मौके पर आजाद भारत के लोकतंत्र का प्रतीक हमारे संसद की पुरानी इमारत इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इस पवित्र मौके पर नए संसद भवन का श्रीगणेश हो गया। मतलब आज से अब संसद की सभी कार्रवाई संसद की नई इमारत हो होगी। पुराने संसद भवन को आज से संविधान सदन के रुप में जाना जाएगा। नए संसद भवन के लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर नए संसद की कार्रवाई की शुरुआत की गई। इस बिल को देश की मोदी सरकार ने “नारी शक्ति वंदन विधेयक” नाम दिया है।

पुरानी इमारत के सेन्ट्रल हॉल में हुआ कार्यक्रम
नए संसद भवन में प्रवेश करने से पहले पुरानी संसद को विदाई देने के लिए सेंट्रल हॉल में ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संसदीय कार्यमंत्री, राज्यसभा सभापति, लोकसभा स्पीकर, प्रधानमंत्री और नेता पक्ष और प्रतिपक्ष का अभिभाषण हुआ। दोपहर को करीब 1 बजकर 15 मिनट पर नए संसद की कार्रवाई शुरु हुई। इससे पहले सुबह करीब साढ़े 9 बजे के आसपास सभी सांसदों का ग्रुप फोटो हुआ। इसके लिए बजापते लोकसभा सचिवालय की तरफ से एक बुलेटिन भी जारी किया गया था। सेन्ट्रल हॉल में सुबह करीब 11 बजे विशेष कार्यक्रम की शुरुआत हुई और फिर उसकी समाप्ति के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए संसद भवन की तरफ पैदल ही रवाना हुए और फिर उनके पीछे सभी सांसद संसद की नई इमारत में पहुंचे। आपको बता दें कि नई संसद में लोकसभा की कार्वाई दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर हुआ और उसके एक घंटे के बाद यानी 2 बजकर 15 मिनट पर राज्यसभा की कार्रवाई शुरु हुई।

पुरानी संसद भवन के विदाई समारोह के दौरान संसद के सेन्ट्रल हॉल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल का संबोधन हुआ। इस दौरान लोकसभा में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली सांसद मेनका गांधी का संबोधन हुआ। वहीं सेंट्रल हॉल में ये भी संकल्प भी लिया गया कि भारत को 2047 तक भारत को विकसित देश की श्रेणी में खड़ा किया जाएगा।

क्या है पुराने संसद का इतिहास?
करीब 95 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है लोकतंत्र का मंदिर संसद भवन। इस पुराने संसद भवन को प्रधानंमत्री नरेन्द्र मोदी ने “संविधान सदन” के रुप में जाना जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूर कर लिया गया और आज से संसद के पुराने इमारत को अब संविधान सदन के रुप में जाना जाएगा। पिछले 96 साल से पुराने संसद का इमारत कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम और भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का साक्षी रहा है, जहां चार हजार से ज्यादा बिल पास किए गए हैं। पुराने संसद भवन का उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया था।