
Major change in India's Indus water policy
भारत सरकार सिंधु जल संधि (Indus water Treaty) के तहत नई जलविद्युत परियोजनाओं में जल भंडारण की क्षमता बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। जम्मू-कश्मीर में कई बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है।
नई दिल्ली: भारत सरकार सिंधु जल संधि को लेकर एक नई और मजबूत रणनीति पर काम कर रही है। हाल ही में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने जानकारी दी कि जम्मू-कश्मीर में जो जलविद्युत परियोजनाएं अभी शुरुआती चरण में हैं, उनमें अधिक जल संग्रहण की योजना बनाई जा रही है। वहीं जिन परियोजनाओं की तकनीकी रूपरेखा पहले ही तय हो चुकी है, उनमें बदलाव नहीं किया जाएगा। मंत्री के अनुसार, नई योजनाओं के तहत न केवल जल भंडारण की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि बिजली उत्पादन में भी वृद्धि होगी। यह नीति उस निर्णय का हिस्सा है जो केंद्र सरकार ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया था।
चार प्रमुख प्रोजेक्ट्स को मिली मंजूरी
फिलहाल जम्मू-कश्मीर में चार नए हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) से मंजूरी मिल चुकी है, जिन पर जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है। इनमें शामिल हैं:
- न्यू गांदरबल (93 मेगावाट) – सिंध नाला पर
- किरथाई-II (930 मेगावाट) – चिनाब नदी पर
- सावलकोट (1,856 मेगावाट) – चिनाब नदी पर
- उरी-I चरण-II (240 मेगावाट) – झेलम नदी पर
इनके अतिरिक्त सरकार चिनाब बेसिन पर चार और महत्वपूर्ण परियोजनाओं — पाकल दुल (1,000 मेगावाट), रतले (850 मेगावाट), कीरू (624 मेगावाट) और क्वार (540 मेगावाट) — को तेज़ी से पूरा करना चाहती है। इनमें पाकल दुल पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा जो पूरी तरह से जल संग्रहण पर आधारित होगा, जिसकी स्टोरेज क्षमता 109 मिलियन क्यूबिक मीटर होगी और इसे 2026 तक चालू करने का लक्ष्य है।
साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान
ऊर्जा मंत्री ने यह भी बताया कि इन सभी प्रोजेक्ट्स में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। चाहे वह ट्रांसमिशन हो, पावर जेनरेशन या डिस्ट्रीब्यूशन। सभी पहलुओं को साइबर हमलों से सुरक्षित रखने के लिए फायरवॉल और सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत किया जा रहा है।
पाकिस्तान से बातचीत की पेशकश
उधर, पाकिस्तान ने हाल ही में भारत से सिंधु जल संधि को लेकर बातचीत की इच्छा दोबारा जताई है। इस संदर्भ में उसने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को पत्र लिखा है। हालांकि, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से इस संधि का उल्लंघन कर रहा है। गौरतलब है कि भारत की सिंधु जल नीति में यह बदलाव न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी दूरगामी प्रभाव डालने वाला कदम है। आने वाले वर्षों में यह नीति भारत के जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग और क्षेत्रीय संतुलन में अहम भूमिका निभा सकती है।