
Pahalgam Terror Attack
पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा। एलओसी के पास पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में मदरसे बंद, पर्यटकों की आवाजाही पर रोक, आपातकालीन तैयारियां शुरू।
मुज़फ़्फ़राबाद: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की दर्दनाक मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस हमले के बाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एलओसी (नियंत्रण रेखा) के पास के इलाक़ों में सुरक्षा स्थिति बेहद गंभीर हो गई है। इसी के मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन ने कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें मदरसों को अस्थायी रूप से बंद करना और पर्यटकों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध शामिल है।
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के विभिन्न ज़िलों, विशेषकर नियंत्रण रेखा से सटे क्षेत्रों में कम से कम एक हज़ार मदरसे दस दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। हालांकि स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को अभी खुला रखा गया है। प्रशासन का कहना है कि भारत की ओर से किसी भी सैन्य कार्रवाई की स्थिति में धार्मिक मदरसे आसान निशाना बन सकते हैं, इसलिए इन्हें बंद करने का निर्णय एहतियातन लिया गया है।
हजीरा (पुंछ) स्थित जामिया मदीना अरबिया मदरसा, जो नियंत्रण रेखा से लगभग नौ किलोमीटर दूर स्थित है, को भी बंद कर दिया गया है। यहां पढ़ने वाले 200 से अधिक छात्रों को आपात स्थिति में उनके घर भेज दिया गया है। मदरसे के प्रमुख मौलवी ग़ुलाम शाकिर ने बताया कि उन्हें प्रशासन ने असामान्य हालात का हवाला देते हुए संस्थान बंद करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, नीलम घाटी सहित एलओसी के आसपास के पर्यटन स्थलों पर भी सुरक्षा चिंताओं के चलते पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने पर्यटकों से कहा है कि वे तत्काल क्षेत्र छोड़ दें। नीलम घाटी के अंतिम गांव तौबात में मौजूद सभी पर्यटकों को वापस भेज दिया गया है।
ब्रिटेन से आए निसार अहमद, जो अपने परिवार के साथ नीलम घाटी घूमने आए थे, निराश होकर लौट गए। उन्होंने बताया, “हम बच्चों को इस खूबसूरत जगह की सैर कराने आए थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से हमें तुरंत लौटने को कहा गया। अब नहीं पता, दोबारा यहां आने का मौका मिलेगा या नहीं।” तौबात होटल और गेस्ट हाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद याह्या शाह ने कहा कि क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर्यटन पर निर्भर है। “मई के लिए अधिकांश होटलों की बुकिंग पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अब पर्यटकों के जाने से स्थानीय लोगों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।”
उधर, नियंत्रण रेखा से सटे गांवों में सुरक्षा इंतज़ाम तेज़ कर दिए गए हैं। लोगों को हथियार चलाने, आत्मरक्षा और प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुज़फ़्फ़राबाद में एक आपातकालीन राहत कोष स्थापित किया गया है और आसपास के गांवों में दो महीने का खाद्य और चिकित्सा भंडार भेजा गया है। रेड क्रिसेंट की क्षेत्रीय प्रमुख गुलज़ार फ़ातिमा ने बताया कि युद्ध जैसे हालात बनने की आशंका के चलते प्राथमिक चिकित्सा कर्मियों को पहले ही क्षेत्र में तैनात कर दिया गया है। उनका संगठन कम से कम 500 लोगों के लिए राहत शिविर भी तैयार कर रहा है।
स्थिति पर नजर बनाए हुए प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि यह सब कदम केवल अस्थायी हैं और हालात सामान्य होने पर प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है। तब तक, स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं।