
नई दिल्ली: भारत के प्रतिष्ठित कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, रफी मार्ग, नई दिल्ली में प्रख्यात लेखक अनुपम श्रीवास्तव की नवीनतम पुस्तक ‘हिंदूइज़्म – द टेक्नोलॉजी फ़ॉर जॉयस लिविंग’ का भव्य विमोचन हुआ। इस कार्यक्रम में सनातन धर्म से जुड़ी प्रतिष्ठित हस्तियों सहित कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लियाऔर वेदों के ज्ञान को वैज्ञानिक ढंग से समझने और सरल भाषा में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल देते हुए लेखक के साहसिक प्रयास की प्रशंसा की।
गरिमामयी उपस्थिति और विचार-विमर्श
कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध मीडिया विशेषज्ञ श्री अतुल रामेश्वर दयाल ने किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में मंच की शोभा बढ़ाने वाले गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे:
- स्वामी ब्रह्मानंद डेविड नोवे – बाबा मुक्तानंद के शिष्य, एस.ए.आई, ऋषिकेश, उत्तराखंड
- परम प्रज्ञा प्रो. पी.के. आर्यम – संस्थापक, आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन, मसूरी, उत्तराखंड
- साध्वी प्रज्ञा भारती – आध्यात्मिक वक्ता, राष्ट्रीय टीवी पैनलिस्ट, संस्थापक – संभव इंटरनेशनल फाउंडेशन
- श्री मनीष अवस्थी – प्रतिष्ठित पत्रकार
- श्री भव्य श्रीवास्तव – संस्थापक, रिलिजन वर्ल्ड

प्रतिष्ठित वक्ताओं ने हिंदू धर्म के गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक ढांचे को एक सरल भाषा में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे इसे संपूर्ण सनातन समाज, विशेषकर युवाओं और आधुनिक समाज से जुड़े लोगों के लिए व्यावहारिक रूप से उपयोगी बनाया जा सके । वक्ताओं ने बताया कि कैसे हिंदू धर्म आत्म-अनुशासन, जागरूकता, भक्ति, कर्म और धर्म के माध्यम से आधुनिक जीवन की चुनौतियों से निपटने का एक व्यवस्थित मार्गदर्शन प्रदान करता है।
लेखक का संदेश
अपने संबोधन में लेखक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा, “हिंदू धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने की सुव्यवस्थित प्रणाली है। यह मानसिक स्पष्टता, आंतरिक शांति और समग्र कल्याण के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसके सिद्धांतों को अपनाकर कोई भी आनंदमय और संतोषजनक जीवन जी सकता है।”
पुस्तक की विशेषताएँ
वक्ताओं ने हिंदू धर्म की गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक शिक्षाओं को आधुनिक जीवन के अनुरूप प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया। पुस्तक के प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
- हिंदू आध्यात्मिक ज्ञान का व्यावहारिक अनुप्रयोग – पुस्तक में धर्म (कर्तव्य), कर्म (कारण और प्रभाव) और भक्ति (श्रद्धा) के सिद्धांतों को तनाव मुक्त जीवन के लिए उपयोगी बताया गया है।
- आत्म-संयम, नैतिक जीवन और सामाजिक उत्तरदायित्व – यह समझाया गया है कि आत्म-संयम केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक योगदान देने का आधार भी है।
- ध्यान, प्रार्थना और भक्ति का प्रभाव – ध्यान, प्रार्थना और श्रद्धा को मानसिक शांति एवं सकारात्मक सोच के लिए अत्यंत आवश्यक बताया गया है।
- वैदिक ज्ञान का वैज्ञानिक आधार – पुस्तक वेदों और उपनिषदों की शिक्षाओं को आधुनिक भौतिकी, तंत्रिका विज्ञान और मनोविज्ञान से जोड़कर प्रस्तुत करती है।
आध्यात्मिकता और आधुनिकता का संगम
अनुपम श्रीवास्तव ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने दीर्घकालिक अनुभव और चार दशकों से अर्जित आध्यात्मिक ज्ञान को इस पुस्तक में समाहित किया है। वे अपने लेखन के माध्यम से यह दर्शाते हैं कि आध्यात्मिक शिक्षाएँ केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि जीवन के आधुनिक मुद्दों को हल करने के व्यावहारिक उपकरण हैं। उन्होंने अपनी विश्लेषणात्मक दृष्टि के साथ आध्यात्मिकता को जोड़कर व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर संपूर्ण समाधान प्रस्तुत किए हैं।
कार्यक्रम के अंत में, एक विचारशील चर्चा हुई, जिसमें हिंदू धर्म की शाश्वत शिक्षाओं को आधुनिक जीवन में मार्गदर्शक के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। इस पुस्तक को दर्शकों ने अत्यंत सराहा और इसे सनातन धर्म के ज्ञान के माध्यम से व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान के रूप में स्वीकार किया।
विचार-विमर्श और सराहना
कार्यक्रम के अंत में एक चर्चा सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें हिंदू धर्म की शाश्वत शिक्षाओं को आधुनिक जीवन में कैसे लागू किया जाए, इस पर विचार-विमर्श किया गया। दर्शकों ने इस पुस्तक को आध्यात्मिकता और आधुनिक जीवनशैली के बीच संतुलन स्थापित करने वाली महत्वपूर्ण कृति बताया।
अब ऑनलाइन उपलब्ध
‘हिंदूइज़्म – द टेक्नोलॉजी फ़ॉर जॉयस लिविंग’ अब अमेज़न पर उपलब्ध है, जहाँ पाठक इसे ख़रीदकर हिंदू दर्शन और इसकी वैज्ञानिकता को आधुनिक संदर्भ में समझ सकते हैं।