
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह किसानों को यह क्यों नहीं कह सकती कि उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं और उनकी उचित मांगों पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित प्रदर्शनकारी किसानों की शिकायतों को सुनने पर जोर दिया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की ओर से दायर याचिका पर जवाब देने को कहा। याचिका में केंद्र से आग्रह किया गया है कि वह कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद किसानों के एमएसपी की कानूनी गारंटी जैसे वादों को पूरा करे। डल्लेवाल, जो लंबे समय से एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं, वर्तमान में अनशन पर हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए।
डल्लेवाल का स्वास्थ्य और अदालत की चिंता
पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार अनशन तोड़े बिना डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने का प्रयास कर रही है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह केवल डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंतित है और कभी भी उनके विरोध को समाप्त करने का निर्देश नहीं दिया।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “पंजाब सरकार के अधिकारियों और कुछ किसान नेताओं द्वारा मीडिया में गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए जा रहे हैं, जो स्थिति को और जटिल बना रहे हैं। हमें यह जांच करनी होगी कि डल्लेवाल के प्रति कुछ किसान नेताओं की नीयत क्या है।”
पंजाब सरकार को फटकार, केन्द्र को नेटिस
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य के अधिकारी मीडिया में झूठी धारणा फैला रहे हैं। अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी को इस मामले में वर्चुअली पेश होने के लिए कहा और उम्मीद जताई कि अदालत का संदेश निचले स्तर तक पहुंचेगा। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र 2021 में कृषि कानूनों के निरस्त होने के बाद किसानों से किए गए वादों को पूरा करे।
अगली सुनवाई 6 जनवरी को
मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार दोनों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता से सुलझाया जाए। आपको बता दें कि 2021 में कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद किसानों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर अपना विरोध जारी रखा है। किसान नेता डल्लेवाल इस आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा हैं और उनका अनशन इस मांग को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का हिस्सा है।