
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी CAA 2024 को लागू करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। वहीं कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि रोक की मांग वाली अर्जियों पर तीन हफ्ते के अंदर कोर्ट में जवाब दाखिल करे। अब 9 अप्रैल को चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड की अगुवाई वाली बेंच इस मामले को लेकर सुनवाई करेगी।
इस मामले को लेकर सरकार के पक्षकार सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को कहा कि उन्हें 20 आवेदनों का जबाब देने के लिए कम से कम चार हफ्ते का समय चाहिए। साथ ही तुषार मेहता ने कोर्ट में एक बार फिर इस बात जोर दिया कि सीएए नागरिकता देने वाला कानून है ना कि देश की जनता से कानून छीनने वाला। इस पर बेंच ने जवाब दिया कि इस बात को लेकर कोर्ट अपना कोई विचार नहीं रख रहा बल्कि वो याचिकाकर्ताओं को सुन रहा है।
इसको लेकर याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील इंदिरा जय सिंह ने कोर्ट को कहा कि केन्द्र सरकार को इस बात को लेकर कोर्ट को कहना चाहिए कि जब तक इस मामले का निपटारा कोर्ट की तरफ से नहीं हो जाता, तब तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी जाएगी। साथ ही ये भी कहा कि हम उन्हें आवेदन दाखिल करने के लिए थोड़ा वक्त जरुर दे सकते हैं। इस बात को लेकर ओवैसी के वकील की ओर से भी ये कहा गया कि जवाब के लिए केन्द्र सरकार को वक्त क्यों चाहिए? इस बात को लेकर तुषार मेहता ने कहा कि केन्द्र सरकार को डिटेल में हलफनामा देना है।
क्या है ये पूरा मामला?
दरअसल केन्द्र सरकार ने सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। आपको बता दें कि इस कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंग्लादेश से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को नागरिकता दी जा सके। इस अधिनियम को 2019 में ही केन्द्र सरकार ने संसद में पास करा लिया था। इसको लेकर देशभऱ में प्रदर्शन हुए। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन 22 जनवरी 2020 को कोर्ट ने सुनवाई करने के दौरान इसपर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
इस कानून पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 237 अर्जी दाखिल की गई थी। अब जब 11 मार्च 2024 को जब केन्द्र सरकार ने इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी तो इसके खिलाफ कई विपक्षी पार्टियां कोर्ट पहुंच गई।