
Iran-Israel War
Iran-Israel War: ईरान-इज़राइल संघर्ष के सातवें दिन ईरान ने दक्षिणी इज़राइल में मिसाइल हमला कर बीरशेबा के अस्पताल को निशाना बनाया। अमेरिका ने मध्य पूर्व में 40,000 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है और सैन्य घेराबंदी तेज कर दी है।
यरूशलेम/तेहरान/वॉशिंगटन: ईरान-इज़राइल संघर्ष गुरुवार को अपने सातवें दिन में प्रवेश कर गया है और हालात लगातार और अधिक गंभीर होते जा रहे हैं। बीती रात ईरानी सेना ने दक्षिणी इज़राइल में मिसाइलों की बौछार कर दी, जिसमें बीरशेबा स्थित सोरोका मेडिकल सेंटर को गंभीर क्षति पहुंची है। इज़रायली आपातकालीन सेवा के मुताबिक, इन हमलों में देशभर में कम से कम 65 लोग घायल हुए हैं।
वहीं, अमेरिका ने ईरान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई की रणनीति पर काम तेज कर दिया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजना को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है, हालांकि इस पर अमल कब होगा, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
मध्य पूर्व में अमेरिका की रणनीतिक घेराबंदी
ईरान द्वारा पलटवार की आशंका को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने मध्य पूर्व में व्यापक सैन्य तैयारियां शुरू कर दी हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय (पेंटागन) ने ईरान के पड़ोसी देशों—संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और जॉर्डन—में तैनात लगभग 40,000 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि अमेरिका युद्ध में कूदता है तो ईरान सीरिया, इराक और अन्य अरब देशों में स्थित अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है।
इससे बचाव के लिए अमेरिका ने इन संवेदनशील ठिकानों की सुरक्षा बढ़ा दी है। तीन दर्जन विशेष निगरानी विमानों को यूरोप से मिडिल ईस्ट भेजा गया है, जो अमेरिकी सैन्य अड्डों की निगरानी और एयर सपोर्ट का कार्य करेंगे। इसके अतिरिक्त, अमेरिका ने दो मालवाहक युद्धपोत भी खाड़ी क्षेत्र में तैनात कर दिए हैं।
ईरान की ओर से आक्रामक संकेत
तेहरान की ओर से अब तक कोई सीधी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की गई है, लेकिन मिसाइल हमलों और मीडिया बयानों से साफ है कि ईरान इस संघर्ष को लंबा खींचने के मूड में है। दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव न केवल मध्य पूर्व बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। ईरान-इज़राइल युद्ध के बढ़ते आयाम और अमेरिका की सैन्य सक्रियता आने वाले दिनों में वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन को गहरा प्रभावित कर सकते हैं। सभी निगाहें अब वॉशिंगटन और तेहरान की अगली चाल पर टिकी हैं।