
पिछले कुछ दिनों से खबरों में दिल्ली में यमुना के झाग की तस्वीरें लगातार दिखाए जा रहे हैं। टीवी चैनल्स में इसको लेकर डिबेट चल रहे हैं। दिल्ली सरकार के लोगों से पता चलता है कि आज ये बैठक हुई तो कल ये बैठक हुई और इसमें अमुख फैसले लिए गए। ये बैठकों का दौर से हर साल चलता है लेकिन इसका कोई समाधान निकल ही नहीं पाता।
दिल्ली में यमुना की सफाई में अबतक 6856 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं है, बल्कि हालात पहले से बदतर ही हुए हैं। दिल्ली की आम आदमी सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में यमुना की सफाई मुख्य मुद्दा था। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार नहीं सैकड़ों बार बोल चुके हैं कि 2025 के चुनाव से पहले यमुना को पूरी तरह से साफ कर देंगे। लेकिन अब तक चुनाव का भी वक्त आ गया है लेकिन हालात में तो कोई सुधार नहीं दिख रहा, जबकि हालात पहले से भी ज्यादा बदतर हैं।
आपको एक बार फिर याद दिला दूं कि 2015 से लेकर 22 मार्च 2023 तक यमुना को लेकर दिए गए अपने बयानों में अरविंद केजरीवाल ने एक ही बात बार बार दोहराई है कि 2025 के चुनाव से पहले यमुना को पूरी तरह से साफ कर देंगे और उसमें दिल्ली की जनता के साथ मिलकर डुबकी लगाएंगे। लेकिन यमुना की जो ताजा हालत है और चुनाव के समय में जो नजदीकियां देखी जा रही है तो उसके देखते हुए यही कहा जा सकता है कि दिल्ली की जनता से अरविंद केजरीवाल ने यमुना को ल कर जो वादे किए थे, वो तो शायद पूरा नहीं हो पाएगा।

अब तो दिल्ली सरकार केन्द्र सरकार पर भी ये आरोप नहीं लगा सकती है कि केन्द्र ने यमुना नदी को साफ करने के नाम पर पैसे नहीं दिए। तो इसके लिए भी आपको ऑन रिकॉर्ड बता दूं कि लोकसभा में सदन के पटल पर रखे गए उत्तर के मुताबिक केन्द्र सरकार ने 2019 से 2024 के बीच दिल्ली सरकार को 1091 करोड़ रुपए दिए। ये बात 25 जुलाई 2024 को लोकसभा में कही गई थी। 1091 करोड़ कोई कम रकम नहीं होती है। मतलब सरकार को 2019 से 2024 के बीच हर महीने करीब 200 करोड़ रुपये मिलती रही लेकिन यमुंना की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि बर्बाद ही होती चली गई।
यहां तो हैरानी वाली बात ये है कि पूरे देश की यमुना मैली नहीं है बल्कि सिर्फ और सिर्फ दिल्ली की यमुना ही मैली है। इस बात को इस हिसाब ले समझिए कि यमुनौत्री से यमुना नदी दिल्ली के पल्ला गांव तक 224 किमी का सफर तय करती है। यहाँ तक कोई गंदगी नहीं है। फिर पल्ला गांव से कालिन्दी कूंज तक की दूरी करीब 54 किमी है लेकिन इलस बीच बस वजीराबाद वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट तक यमुना की हालत ठीक है लेकिन यहां से कालिंदी कुंज तक करीब 22 किमी यमुना की हालत बदतर है। आपको ये भी बता दूं कि इस 22 किमी के क्षेत्र में जो आबादी रहती है, उसे साल में 9 महीने साफ पानी के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि इस इलाके कोई भी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट है ही नहीं। तो दिल्ली की यमुना मैली है, किसकी वजह से मैली है, इसका जवाब दिल्ली सरकार देगी?