
नई दिल्ली: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। इस बार के चुनाव में यूं कहे तो मुकाबला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के बीच होगा। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि सभी विपक्षी पार्टी पीएम मोदी को एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने से रोकने के लिए एक मंच पर आई है। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी किसी भी पार्टी में आम सहमति नहीं बनी लेकिन फिर भी विपक्षी गठबंधन के सभी नेता कह रहे हैं “ऑल इज़ वेल”।
यहां सोचने वाली बात ये है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में सत्ता का स्वाद चखने का मौका किसको मिलेगा? हालांकि सभी सर्वे रिपोर्ट तो एनडीए की तरफ ही इशारा कर रहे हैं लेकिन विपक्षी गठबंधन को अभी भी भरोसा है कि इस बार के चुनाव में वो मोदी को सत्ता से हटाने में सफल हो जाएंगे, जिसकी उम्मीद करीब करीब ना के बराबर है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी का जो परफॉर्मेंस रहा है उससे तो फिलहाल ऐसा ही लगा रहा है।
हालांकि बात दक्षिण भारत की हो तो यहां बेशक बीजेपी की पकड़ थोड़ी कमजोर है। हाल फिलहाल ही हुए एक सर्वे रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही है कि 2024 के चुनाव में कर्नाटक में बीजेपी कांग्रेस पर भारी पड़ती नजर आ रही है तो वहीं तेलंगाना में कांग्रेस बीजेपी को पटखनी दे सकती है। आपको यहां ये बता दें कि अभी तुलना बीजेपी और कांग्रेस की इसलिए भी हो रही है कि विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। वोट शेयर की बात करें तो सर्वे इस ओर इशारा कर रही है कि तेलंगाना में कांग्रेस का वोट शेयर 38 फीसदी रह सकता है तो बीजेपी का 21 फीसदी।
वहीं बात अगर कर्नाटक की हो तो यहां की 28 लोकसभा सीट में से 22 से 24 सीट पर बीजेपी का कब्जा हो सकता है तो कांग्रेस को 4 से 6 सीट पर संतोष करना पड़ेगा। हाँलांकि कांग्रेस का ये प्रदर्शन 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में बेहतर है। 2019 में यहां कांग्रेस का वोट शेयर 32 फीसदी था जो इस बार 43 फीसदी तक होने की उम्मीद है। वहीं बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने बाजी मारी है तो इसका असर लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। सर्वे में बीजेपी को 11 सीट में से कम से कम 9 सीटें यहां मिलती हुई दिख रही है।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी के वोट शेयर 55 फीसदी रहने का अनुमान है तो कांग्रेस यहां फिसलती नजर आ रही है। कांग्रेस का यहां वोट शेयर मात्र 37 फीसदी रहने वाला है जबकि अन्य का वोट शेयर 8 फीसदी तक रह सकता है।