वक्फ संशोधन कानून 2025 को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज

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नई दिल्ली: दो दिनों की मैराथन बहस के बाद संसद से पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill 2025) अब आधिकारिक रूप से कानून बन गया है। शनिवार देर रात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि इस अधिनियम को 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई और इसे आम जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है।

यह संशोधन वक्फ बोर्डों और उनकी संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े कई प्रावधानों में बदलाव लाता है। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 95 सांसदों ने मतदान किया। इस कानून के पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में मुस्लिम समुदायों ने प्रदर्शन किए। दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने सख्त सुरक्षा इंतजाम किए हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में अधिकारियों ने काले बैज पहनकर विरोध जताने वाले 24 लोगों को नोटिस जारी किया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध और कानूनी लड़ाई शुरू करने की घोषणा की है। बोर्ड का कहना है कि यह कानून मुसलमानों के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। इस बीच, कांग्रेस, एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने इस कानून को असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी बताया है। कांग्रेस ने विशेष रूप से वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का विरोध किया है।

कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी और आप के विधायक पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर चुके हैं। उनका कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इस मुद्दे पर देश में सामाजिक और राजनीतिक बहस तेज हो गई है, और आने वाले दिनों में इसका असर सड़कों से लेकर अदालतों तक देखा जा सकता है।

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