अमेरिका (USA) ने भारत (India) की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन दोहराया है। वहीं, अमेरिकी जनरल कुरिल्ला ने आईएसआईएस-खोरासान के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की भूमिका को अहम बताते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की बात कही।
वॉशिंगटन: अमेरिका ने एक बार फिर भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने समर्थन की पुष्टि की है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने मंगलवार को बताया कि उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ ने हाल ही में दिल्ली से आए एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका और भारत की साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे थे, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ग्लोबल आउटरीच यात्रा के तहत वाशिंगटन पहुंचे थे।
इसी दौरान अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने भी एक अहम बयान दिया। हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी की सुनवाई में जनरल कुरिल्ला ने आतंकवाद-रोधी अभियानों में पाकिस्तान की भूमिका को ‘अभूतपूर्व भागीदारी’ करार दिया। उन्होंने बताया कि कैसे पाकिस्तान की सेना और सेना प्रमुख असीम मुनीर की कार्रवाई से 2021 में काबुल एयरपोर्ट के एबी गेट पर हुए आत्मघाती हमले के मास्टरमाइंड शरीफुल्लाह को पकड़ा गया। इस हमले में 13 अमेरिकी सैनिक और 160 से अधिक नागरिक मारे गए थे।
जनरल कुरिल्ला ने स्पष्ट कहा, “हमें भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ संबंध रखने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि अगर हम भारत के साथ संबंध रखते हैं तो पाकिस्तान से नहीं रख सकते। दोनों रणनीतिक साझेदार हैं।” इसके अलावा, टैमी ब्रूस ने यह भी जानकारी दी कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में एक पाकिस्तानी संसदीय दल ने भी हाल ही में अमेरिका का दौरा किया और वहां विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की, जिनमें अवर सचिव एलिसन कर भी शामिल थीं।
जब ब्रूस से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान ने आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कोई ठोस आश्वासन दिया है, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। साथ ही, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश को लेकर पूछे गए सवाल पर भी उन्होंने टिप्पणी करने से बचते हुए कहा, “मैं उनकी योजनाओं पर कोई बात नहीं कर सकती, दुनिया उनके विचारों को जानती है।”