अमेरिका ने पारस्परिक टैरिफ की समयसीमा फिर बढ़ाई, भारत को मिला रणनीति बनाने का अतिरिक्त समय

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US Extends Tariff Deadline: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पारस्परिक टैरिफ लागू करने की तारीख 1 अगस्त से बढ़ाकर 7 अगस्त कर दी है। इससे भारत को व्यापार रणनीति सुधारने और समझौते की शर्तें तय करने का अवसर मिला है।

वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दुनिया के कई देशों पर प्रस्तावित पारस्परिक टैरिफ की समयसीमा को बढ़ा दिया है। पहले यह शुल्क 1 अगस्त से प्रभावी होना था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है। नई तिथि 7 अगस्त निर्धारित की गई है, जिससे भारत सहित अन्य प्रभावित देशों को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का अवसर मिला है।

इस निर्णय का सीधा लाभ भारत को मिल सकता है, जिसे अब अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में अपनी शर्तें रखने और टैरिफ के संभावित प्रभाव को कम करने का समय मिल गया है। यदि यह समयसीमा आगे नहीं बढ़ती है, तो अमेरिका भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% तक अतिरिक्त शुल्क और जुर्माना लगा सकता है, जो देश के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।

किन क्षेत्रों पर होगा सबसे ज्यादा असर?

  • रत्न और आभूषण: वर्तमान 5-13.5% के बजाय शुल्क बढ़कर 30-38.5% तक
  • खाद्य व कृषि उत्पाद: वर्तमान 14-15% से बढ़कर 29-30%
  • दूरसंचार उपकरण: 25%
  • कपड़ा उद्योग: मौजूदा 6-9% के साथ अतिरिक्त 25% जुड़कर कुल 31-34% तक

ये शुल्क पहले से ही लगे मौजूदा टैरिफ के अतिरिक्त होंगे, जिससे भारत के निर्यात की प्रतिस्पर्धा पर सीधा असर पड़ सकता है।

भारत-अमेरिका सेवा व्यापार पर प्रभाव
वर्ष 2024-25 में भारत ने सेवा क्षेत्र में अमेरिका को लगभग 28.7 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि आयात 25.5 अरब डॉलर रहा। इस प्रकार, सेवा क्षेत्र में भारत को 3.2 अरब डॉलर का अधिशेष प्राप्त हुआ। थिंक टैंक GTRI के अनुसार, यदि शिक्षा, डिजिटल सेवाएं, वित्तीय सेवाएं, रॉयल्टी और हथियारों का व्यापार जोड़ा जाए, तो कुल अधिशेष 35 से 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

टैरिफ के पीछे अमेरिका की दलील
अमेरिका का कहना है कि भारत के साथ उसका व्यापार घाटा अत्यधिक है, जिसके लिए उसने भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों पर लगे ऊंचे शुल्कों को जिम्मेदार ठहराया है। अमेरिका का दावा है कि इन टैरिफों के कारण अमेरिकी निर्यातकों को भारत में प्रवेश करने में कठिनाई होती है, और यह असंतुलन को खत्म करने के लिए अतिरिक्त शुल्क जरूरी हैं।

द्विपक्षीय व्यापार में भारत की स्थिति
वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 186 अरब डॉलर तक पहुंचा, जिसमें 86.5 अरब डॉलर का निर्यात और 45.3 अरब डॉलर का आयात शामिल है। इसी वर्ष भारत को अमेरिका के साथ 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष प्राप्त हुआ, जो लगातार तीसरे वर्ष बढ़ता रहा है।

गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा टैरिफ की समयसीमा बढ़ाना एक कूटनीतिक संकेत माना जा रहा है, जिससे दोनों देशों को व्यापार वार्ता के लिए और समय मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम मुख्यतः दबाव की रणनीति हो सकता है और अंतिम निर्णय 7 अगस्त के बाद ही सामने आएगा। भारत को इस अंतराल में अपने हितों की रक्षा करने और संभावित नुकसान को कम करने की दिशा में ठोस पहल करनी होगी।

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