अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर तेज़, भारत को साथ लाने की फिराक में बीजिंग

नई दिल्ली: अमेरिका (America) और चीन (China) के बीच एक बार फिर ट्रेड वॉर ने तेज़ी पकड़ ली है। दोनों देश एक-दूसरे पर नए-नए टैरिफ लगा रहे हैं, जिससे वैश्विक व्यापार पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित उत्पादों पर 104 फीसदी तक टैरिफ लगा दिया है। इसके बाद अमेरिका ने चीन की सात प्रमुख वस्तुओं के आयात पर भी रोक लगा दी है।

चीन इस फैसले से आहत जरूर है, लेकिन उसने इसे मौका बनाकर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। चीनी एम्बेसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत और चीन के व्यापारिक रिश्ते आपसी विश्वास और लाभ पर आधारित हैं। ऐसे समय में जब अमेरिका की टैरिफ नीति कई देशों को नुकसान पहुंचा रही है, तब भारत और चीन जैसे दो बड़े विकासशील देशों को एक साथ आकर इस संकट का सामना करना चाहिए।

टैरिफ वॉर का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टैरिफ वॉर इसी तरह चलता रहा तो वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा सकता है। उत्पादन घटेगा, नौकरियों पर असर पड़ेगा और विकास दर में गिरावट आएगी। अमेरिका का तर्क है कि दशकों से उसका व्यापारिक शोषण होता रहा है, और अब वह टैरिफ के जरिए व्यापार संतुलन स्थापित करना चाहता है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर भी 26 फीसदी टैरिफ लगाया है। इसके अलावा चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे एशियाई देशों को भी भारी टैरिफ की मार झेलनी पड़ी है।

भारत की भूमिका अहम
चीन की भारत को साथ लाने की कोशिश यह संकेत देती है कि आने वाले समय में भारत की भूमिका वैश्विक व्यापार में और भी अहम हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस स्थिति में क्या रुख अपनाता है — क्या वह अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को प्राथमिकता देगा, या चीन के साथ मिलकर एक नया व्यापारिक समीकरण बनाएगा।

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