
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट “वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2025” के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने युद्धों, महंगाई और संरचनात्मक चुनौतियों के बावजूद स्थिरता बनाए रखी है। रिपोर्ट में 2025 के लिए वैश्विक वृद्धि दर 2.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो 2024 के समान है। हालांकि, यह वृद्धि दर महामारी से पहले (2010-2019) के औसत 3.2 फीसदी से कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने बड़ी मंदी से बचने में सफलता प्राप्त की है। संयुक्त राष्ट्र के शांतनु मुखर्जी ने इसे “स्थिर लेकिन औसत दर्जे की वृद्धि” करार दिया और कहा कि अर्थव्यवस्था धीमी गति से चल रहे एक मजबूत इंजन की तरह है।
क्षेत्रीय योगदान महत्वपूर्ण
अमेरिका और चीन की धीमी मगर सकारात्मक प्रगति, भारत और इंडोनेशिया के मजबूत प्रदर्शन, तथा यूरोप, जापान और ब्रिटेन में धीमी रिकवरी से वैश्विक विकास को समर्थन मिला है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका ने 2024 में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसका श्रेय मजबूत उपभोक्ता खर्च और सरकारी योजनाओं को जाता है। हालांकि, 2025 में इसकी वृद्धि दर घटकर 1.9 फीसदी रहने का अनुमान है। चीन की वृद्धि दर 2024 के 4.9 फीसदी से घटकर 2025 में 4.8 फीसदी हो सकती है। इसका कारण घरेलू मांग में कमी और प्रॉपर्टी सेक्टर की समस्याएं बताई गई हैं।
दक्षिण एशिया का उभरता भविष्य और यूरोपीय संघ में धीमी रिकवरी
दक्षिण एशिया 2025 में 5.7 फीसदी की वृद्धि दर के साथ दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बना रहेगा। भारत 2025 में 6.6 फीसदी की वृद्धि करेगा। रिपोर्ट में भारत को क्षेत्रीय वृद्धि और गरीबी उन्मूलन में अहम बताया गया है।यूरोपीय संघ की वृद्धि दर 2024 के 0.9 फीसदी से बढ़कर 2025 में 1.3 फीसदी हो सकती है। जापान और ब्रिटेन में भी धीमी लेकिन सकारात्मक रिकवरी का अनुमान है।
चुनौतियां और राहत
रिपोर्ट में धीमी निवेश दर, उत्पादकता में गिरावट, कर्ज और आबादी के दबाव जैसे मुद्दों को वैश्विक वृद्धि में बाधा बताया गया है। हालांकि, 2024 की 4 फीसदी महंगाई दर घटकर 2025 में 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जिससे परिवारों और कारोबारों को राहत मिलेगी।
वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
संयुक्त राष्ट्र के ली जुन्हुआ ने आपसी सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कर्ज, असमानता और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करने की जरूरत है। इस रिपोर्ट ने सही नीतियों, निवेश और सहयोग के जरिए बेहतर आर्थिक भविष्य की संभावनाओं पर बल दिया है।