ट्रंप के टैरिफ वॉर से शेयर बाजारों में भूचाल, 10 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान; ‘मैग्नीफिसेंट सेवन’ को सबसे बड़ा झटका

मुंबई: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के टैरिफ वॉर के फैसले ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, टैरिफ वॉर की वजह से दुनियाभर के शेयर बाजारों में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है, जो यूरोपीय यूनियन की कुल जीडीपी के आधे से कुछ अधिक के बराबर है।

ग्लोबल मार्केट में मची अफरातफरी
पिछले हफ्ते ट्रंप द्वारा ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ की घोषणा के बाद वैश्विक बाजारों में घबराहट फैल गई। निवेशकों में मंदी और ट्रेड वॉर की आशंकाओं ने बाजार को झकझोर कर रख दिया। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका के शेयर बाजारों पर देखने को मिला, जहां S&P 500 इंडेक्स में लगातार तीन दिन 4-4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ऐसा प्रदर्शन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार देखा गया, जो 1987 के ‘ब्लैक मंडे’ की याद दिलाता है, जब डाउ जोन्स 22.6 प्रतिशत तक गिरा था।

टेक कंपनियों को लगा सबसे बड़ा झटका
स्पेन के प्रमुख अखबार ‘एल पेस’ के अनुसार, इस वित्तीय संकट से सबसे अधिक नुकसान अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियों को हुआ है। ‘मैग्नीफिसेंट सेवन’ कहे जाने वाले—एप्पल, गूगल, एनवीडिया, मेटा, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और टेस्ला—को कुल मिलाकर 1.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। इसमें अकेले एप्पल को 500 बिलियन डॉलर (कंपनी वैल्यू का 16.8%) का झटका लगा, क्योंकि इसके अधिकांश डिवाइस एशिया में बनते हैं और टैरिफ का सीधा प्रभाव इसी पर पड़ा।

अन्य बड़ी कंपनियां भी प्रभावित
न केवल टेक कंपनियां बल्कि जेपी मॉर्गन, एली लिली, बर्कशायर हैथवे, वीजा, एक्सॉन मोबिल, वॉलमार्ट और बैंक ऑफ अमेरिका जैसी दिग्गज कंपनियों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। तीन दिनों में इन कंपनियों को 54 बिलियन डॉलर से अधिक की हानि हुई। ट्रंप की टैरिफ नीति का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिला है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में बाजार खुद को किस तरह संभालते हैं और क्या सरकारें कोई राहत पैकेज लेकर आती हैं।

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