
Trump sends 2000 National Guard to Los Angeles
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने लॉस एंजिल्स में अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई के विरोध में फैली हिंसा को नियंत्रित करने के लिए 2000 नेशनल गार्ड सैनिक तैनात किए। कैलिफोर्निया के गवर्नर ने इसे राज्य संप्रभुता का उल्लंघन बताया।
लॉस एंजिल्स: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फिर से सत्ता में आने के बाद देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचलें तेज़ हो गई हैं। अब लॉस एंजिल्स से एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जहां ट्रंप प्रशासन के अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान के विरोध में हिंसा भड़क उठी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 2000 नेशनल गार्ड सैनिकों को लॉस एंजिल्स की सड़कों पर उतार दिया है। यह फैसला राज्य सरकार की आपत्तियों के बावजूद लिया गया, जिसे कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसोम ने “राज्य की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन” बताया है। उन्होंने इस तैनाती को असंवैधानिक करार देते हुए सैनिकों को राज्य की कमान में वापस बुलाने की मांग की है।
1965 के बाद पहली बार ऐसा हुआ
ट्रंप का यह कदम ऐतिहासिक रूप से भी असामान्य माना जा रहा है। 1965 के बाद यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने राज्यपाल की अनुमति के बिना किसी राज्य में नेशनल गार्ड की तैनाती की है। इससे पहले, राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने अलबामा में नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए सेना तैनात की थी।

ट्रंप का तर्क: “अवैध प्रवासियों और अपराधियों ने कब्जा किया”
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “लॉस एंजिल्स पर अवैध विदेशियों और अपराधियों ने आक्रमण कर दिया है। अब हिंसक भीड़ हमारे फेडरल एजेंट्स पर हमला कर रही है और निर्वासन अभियान में बाधा डाल रही है। ये दंगे हमारे संकल्प को और मज़बूत करते हैं।” ट्रंप प्रशासन के अनुसार, यह कार्रवाई अमेरिकी कानूनों को लागू करने के लिए आवश्यक है, जबकि स्थानीय मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इस कार्रवाई में कानूनी रूप से रह रहे प्रवासियों को भी परेशान किया जा रहा है और समाज को बांटने की कोशिश हो रही है।
कानून क्या कहता है?
ट्रंप ने अपनी कार्रवाई के लिए यूएस कोड के टाइटल 10, सेक्शन 12406 का हवाला दिया है। यह कानून राष्ट्रपति को तीन परिस्थितियों में नेशनल गार्ड को फेडरल सर्विस में बुलाने की अनुमति देता है:
- अगर अमेरिका पर हमला हो,
- अगर विद्रोह या विद्रोह का खतरा हो,
- अगर रेगुलर फोर्स के साथ कानून लागू करना संभव न हो।
इसके अलावा, राष्ट्रपति 1792 के विद्रोह अधिनियम (Insurrection Act) का भी सहारा ले सकते हैं, जिससे उन्हें सेना को नागरिक कानून व्यवस्था लागू करने के लिए अधिकृत करने का अधिकार मिल जाता है। हालांकि कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि विरोध प्रदर्शनों को “विद्रोह” करार देना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब अधिकतर प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं।
कानूनी और संवैधानिक जटिलताएं
पॉज़ कॉमिटेटस एक्ट (1878) के अनुसार, अमेरिकी सेना (जिसमें नेशनल गार्ड भी शामिल है) को आम तौर पर घरेलू कानून लागू करने की अनुमति नहीं होती। हालांकि टाइटल 10 के तहत दी गई शक्तियां इस अपवाद के अंतर्गत आती हैं, लेकिन यह अभी भी संवैधानिक बहस का विषय बनी हुई हैं। गौरतलब है कि लॉस एंजिल्स में ट्रंप की कार्रवाई ने अमेरिका की संघीय और राज्य शक्तियों के बीच के संतुलन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर राष्ट्रपति राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर कठोर कदम उठा रहे हैं, तो दूसरी ओर राज्य सरकारें इसे अपने अधिकारों का हनन बता रही हैं। आने वाले दिनों में यह मुद्दा कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर और भी गरमाने की संभावना है।