
नई दिल्ली: क्या खत्म होने की कगार पर है दुनिया? यूएन की एक रिपोर्ट के बाद एक बार फिर से इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है। दरअसल यूएन की ये ताजा रिपोर्ट काफी डराने वाली है। इस रिपोर्ट को लेकर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि पिछले साल दुनिया भर में गर्मी का सितम ऐसा था कि जिसने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। साल 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल माना गया। ऐसा इस लिए भी कहा गया कि इस साल हीटवेव ने महासागरों को भी प्रभावित किया है। इसका प्रभाव ग्लेशियर पर भी पड़ा है और नतीजा ये हुआ कि बर्फ पिघलते चले गए।
संयुक्त राष्ट्र ने जारी की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र के मौसम विभाग संगठन ने मंगलवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें जलवायु स्थिति की चर्चा की गई है जो जितना चौंकाने वाली है, उतनी ही डरावनी भी। इस रिपोर्ट में जो आंकड़ा दिखाया गया है उसके मुताबिक धरती की सतह के पास का औसत तापमान साल के पहले महीनों में औद्योगिक स्तर से 1.45 डिग्री सेल्सियस ऊपर था और अब ये खतरनाक रूप से 1.5 डिग्री की नजदीक आ पहुंचा है। ये आंकड़ा अब दुनिया को हैरान कर रही है जो एक तरह से रेड अलर्ट के तौर पर देखा जा सकता है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जारी की चेतावनी
मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी इस रिपोर्ट के माध्यम से चेतावनी दी है कि लगातार चल रहे मरीन हीटवेव का असर मरीन इकोसिस्टम और इसके कोरल रीफ्स पर पड़ा है। जो गुड न्यूज की जगह बैड न्यूज़ है और अलर्ट मोड पर आने की चेतावनी है। इस रिपोर्ट में इस बात की भी चेतावनी जारी की गई है कि 1950 में गर्मी के बढ़ने का रिकॉर्ड शुरु होने के बाद से दुनियाभर के करीब करीब सभी ग्लेशियरों में बर्फ का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि इसमें इस बात पर भी जोर दिया गया है कि दुनिया को अभी भी बचाया जा सकता है लेकिन इसके लिए हमें बहुत मेहनत करनी होगी।
