Bihar: तेजस्वी यादव के पास हैं दो वोटर आई कार्ड! चुनाव आयोग ने लगाए फर्जी EPIC नंबर के आरोप, जांच शुरू

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Tejashwi Yadav Voter Card Controversy: राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाया गया है। चुनाव आयोग ने उनके दो अलग-अलग EPIC नंबरों की जांच शुरू की है, जिसमें एक नंबर फर्जी हो सकता है।

पटना: बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। इस बार मामला है मतदाता सूची से जुड़े एक गंभीर आरोप का। तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनका नाम हाल ही में जारी हुई ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटा दिया गया है, लेकिन चुनाव आयोग ने इस दावे को खारिज करते हुए एक नया मोड़ पेश कर दिया है। तेजस्वी यादव ने शनिवार को दावा किया कि उनका नाम बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में नहीं है, जिससे उनके चुनाव लड़ने पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। उन्होंने चुनाव आयोग पर यह आरोप भी लगाया कि उनके वैध ईपीआईसी नंबर (EPIC) को सूची से हटा दिया गया है।

दो EPIC नंबरों ने बढ़ाई रहस्य की परतें

तेजस्वी यादव की ओर से पेश किया गया EPIC नंबर RAB2916120 है, जबकि चुनाव आयोग की सूची में उनके नाम के साथ RAB0456228 दर्ज है। यह विरोधाभास सामने आते ही मामला गंभीर हो गया, क्योंकि इससे यह आशंका उत्पन्न हो गई कि तेजस्वी यादव के नाम पर दो अलग-अलग वोटर कार्ड मौजूद हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने पुष्टि की कि EPIC नंबर RAB0456228 वह नंबर है जिसका उपयोग तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन पत्र में किया था। यह नंबर 2015 की मतदाता सूची में भी दर्ज था, और नवीनतम ड्राफ्ट सूची में भी इसी नंबर के साथ उनका नाम शामिल है। वहीं, दूसरा EPIC नंबर RAB2916120, जिसे तेजस्वी यादव ने प्रस्तुत किया, उसे आयोग ने “अस्तित्वहीन” बताया है। आयोग के अनुसार, इस नंबर से संबंधित कोई वैध रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, और यह संभव है कि यह कभी आधिकारिक रूप से जारी ही नहीं किया गया हो।

जाली दस्तावेज का संदेह, जांच जारी

चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि अब यह जांच की जा रही है कि EPIC नंबर RAB2916120 कहीं फर्जी या जाली दस्तावेज तो नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह पूरी तरह संभव है कि यह नंबर किसी अनधिकृत माध्यम से तैयार किया गया हो। हम पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं।” यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए चुनाव आयोग द्वारा हटाए गए 65 लाख नामों पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा, “लोकतंत्र में हर मतदाता की उपस्थिति और अधिकार की गारंटी सर्वोपरि है। यदि मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं और उसके पीछे का कारण छुपाया जा रहा है, तो यह गंभीर लोकतांत्रिक संकट है।”

तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप

तेजस्वी यादव ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग पारदर्शिता नहीं बरत रहा है, और मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया में राजनीतिक पक्षपात हो रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या आयोग उन लाखों नामों के विलोपन का स्पष्ट और बिंदुवार उत्तर देगा?

हालांकि यह मामला अब सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाज़ी का नहीं रहा, बल्कि इससे संबंधित दस्तावेज़ों की वास्तविकता पर भी सवाल उठने लगे हैं। अगर यह सिद्ध होता है कि किसी नेता के नाम पर दो अलग-अलग EPIC नंबर मौजूद हैं, तो यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही, बल्कि संभावित धोखाधड़ी का मामला भी बन सकता है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस विषय की गहन जांच की जाएगी और अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो कानूनी कार्रवाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता। यह मामला आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले का है, और इसका राजनीतिक असर तेजस्वी यादव की छवि और विपक्ष की भूमिका दोनों पर पड़ सकता है।

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