कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गुरुदेव आर्यम जी महाराज द्वारा भगवान शंकर आश्रम मसूरी की स्विट्ज़रलैंड शाखा का हुआ विधिवत शुभारंभ

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मसूरी: आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन भारत के तत्त्वावधान में स्विट्ज़रलैंड स्थित आश्रम का सोमवार को विधिवत श्री गणेश किया गया। कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव के सुअवसर पर स्वयं गुरुदेव आर्यम जी महाराज ने स्विट्ज़रलैंड पहुँचकर आश्रम का शुभारंभ किया। ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता माँ यामिनी श्री जो स्वयं भी इस अवसर पर भाग लेने भारत से स्विट्जरलैंड पहुँची हैं, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि विदेशों में आर्यम जी महाराज के असंख्य शिष्य हैं जिन्होंने आश्रम की शुरुआत पर बहुत प्रसन्नता व्यक्त की है।

परमप्रज्ञ जगद्ग़ुरु प्रोफ़ेसर पुष्पेंद्र कुमार आर्यम जी महाराज कई बार अपने कार्यक्रमों के लिए युरोप जा चुके हैं। यूरोपीय शिष्यों की अनवरत माँग पर गत कई वर्षों से यहाँ आश्रम की रूपरेखा पर विचार चल रहा था जिसे अंततः सोमवार को मूर्त रूप उपलब्ध हुआ। दुनिया के सबसे सुंदर और व्यक्ति उत्थान के सबसे अग्रणी देश स्विट्ज़रलैंड को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि गुरुश्रेष्ठ आर्यम जी महाराज की वाणी यहाँ से समूचे विश्व में विस्तारित होगी। अपने स्वयं के स्वामित्व वाले इस दिव्य और भव्य आश्रम के शुभ आरम्भ से सनातन और वैदिक मूल्यों को एक नया जीवन मिल सकेगा।

वैदिक अग्निहोत्र और पुष्प अर्चन के साथ कार्तिक पूर्णिमा उत्सव को संबोधित करते हुए आर्यम जी महाराज ने कहा कि आज पूरा विश्व सनातन और वैदिक मूल्यों के प्रति पुनः आकर्षित हो रहा है। हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य धर्मों के लोगों का रुझान भी सनातन मान्यताओं के प्रति बढ़ रहा है जो कि एक सुखद संकेत है। स्विट्ज़रलैंड में भगवान शंकर आश्रम की स्थापना से समूचे यूरोप को लाभ मिलेगा। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फ़्रांस, जर्मनी,नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क,चेक रिपब्लिक, हंगरी,ग्रीस,इटली,रोम,पुर्तगाल,स्पेन आदि लगभग तीस देशों के हिंदू धर्मावलम्बी अनेक अनुष्ठानों और समारोह आदि में सक्रिय भागीदारी कर सकेंगे।आर्यम दीक्षित संयोगी श्री जीतेश आर्य स्विट्ज़रलैंड स्थित आश्रम के प्रमुख व्यवस्थापक होंगे।

आर्यम जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्तिक पूर्णिमा का ऐतिहासिक दृष्टि से भी बड़ा महत्व है। क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा, गुरु नानक देव प्रकटोत्सव, देव दीपावली, भगवान् के पुत्र कार्तिकेय का प्राकट्य दिवस, श्री हरि के बैकुण्ठ धाम में देवी तुलसी का प्राकट्य दिवस, भगवान् श्रीकृष्ण के धाम गोलोक में इस दिन राधोत्सव एवं रासमण्डल, पहले जैन तीर्थंकर आदिनाथ का शत्रुंजय पर्वत पर पहला उपदेश एवं भगवान् विष्णु का प्रलय काल में वेदों की रक्षा तथा सृष्टि को बचाने के लिए मत्स्य अवतार धारण करना आदि महान स्मरण जुड़े हैं।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही  गंगा नदी के किनारे रविदास घाट से लेकर राजघाट के अंत तक असंख्य दीपक प्रज्ज्वलित करके गंगा मैय्या की पूजा अर्चना की जाती है। जिसे देव दीपावली कहते हैं, अब आने वाले समय में ये सभी पर्व यूरोपीय देशों में भी मनाये जा सकेंगे।

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