
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार पर सख्त होती नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए केन्द्र सरकार को एक समय सीमा तय करने के लिए कहा है। साल 2019 के अगस्त महीने में केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया था। उस समय सरकार ने राज्य को दो हिस्से में बांट कर केन्द्र शासित राज्य घोषित किया था। जम्मू-कश्मीर को दो हिस्से में बांटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र शासित राज्य बने थे।
जम्मू-कश्मीर को बांटने के बाद सरकार की काफी आलोचना हुई थी और उसके बाद सरकार ने संसद में आश्वस्त किया था कि जितना जल्दी संभव होगा राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। लेकिन 4 साल के बाद भी ऐसा संभव नहीं हो पाया और अब सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर सख्त टिप्पणी कर दी है। दरअसल अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट इन दिनो सुनवाई कर रहा है। इस दौरान ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार को पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने को कहा है।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने मंगलवार को मामले में सुनवाई का 12वां दिन है। इससे पहले, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट केंद्र की उस दलील से सहमत दिखा था कि जम्मू-कश्मीर का संविधान भारतीय संविधान के ‘अधीन’ है। केंद्र ने यह भी दलील दी कि देश का संविधान उच्च स्थिति में है। सीजेआई की बेंच हालांकि इस दलील से सहमत नहीं प्रतीत हुई कि J&K राज्य की संविधान सभा, जिसे 1957 में भंग कर दिया गया था, वास्तव में विधानसभा थी। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट के सामने पेश हो रहे हैं। संविधान बेंच में सीजेआई चंद्रचूड़ के अलावा पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं।