Russia Remains India’s Top Oil Supplier: भारत ने सितंबर 2025 में रूस से कच्चे तेल के आयात में हल्की कमी दर्ज की, लेकिन रूस 34% हिस्सेदारी के साथ भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बना रहा। अमेरिकी दंडात्मक शुल्कों के बावजूद, रूसी तेल भारतीय रिफाइनरियों के लिए अब भी सबसे किफायती विकल्प बना हुआ है।

नई दिल्ली: रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात में सितंबर महीने के दौरान हल्की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन इसके बावजूद रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में भारत ने औसतन 47 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया, जो अगस्त की तुलना में 2.2 लाख बैरल प्रतिदिन अधिक रहा, जबकि सालाना आधार पर इसमें कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं देखा गया।
रूस की हिस्सेदारी अब भी सबसे अधिक
वैश्विक व्यापार विश्लेषण फर्म केप्लर (Kpler) के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, रूस ने सितंबर में भारत को 16 लाख बैरल प्रतिदिन तेल की आपूर्ति की। यह भारत के कुल तेल आयात का लगभग 34 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, यह मात्रा वर्ष 2025 के पहले आठ महीनों में आयातित रूसी तेल की औसत मात्रा से लगभग 1.6 लाख बैरल प्रतिदिन कम रही। केप्लर के प्रमुख शोध विश्लेषक (रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग) सुमित रिटोलिया ने बताया, “थोड़ी गिरावट के बावजूद, रूसी कच्चा तेल भारतीय रिफाइनरों के लिए अब भी सबसे सस्ता और लाभकारी विकल्पों में से एक बना हुआ है। भारतीय तेल कंपनियाँ मूल्य प्रतिस्पर्धा और रिफाइनिंग दक्षता के लिहाज से रूसी तेल को प्राथमिकता दे रही हैं।”
अमेरिका ने लगाया दंडात्मक शुल्क
रूस से लगातार बढ़ते तेल आयात के चलते अमेरिका ने भारत पर दंडात्मक शुल्क (punitive tariffs) लगाए हैं। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि रूस से बड़े पैमाने पर तेल खरीदना उसके खिलाफ लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करता है। इसके बावजूद, भारत ने यह स्पष्ट किया है कि उसकी तेल नीति ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों पर आधारित है।
इराक और सऊदी अरब भी प्रमुख आपूर्तिकर्ता
रिपोर्ट के अनुसार, इराक भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता रहा, जबकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहे। अमेरिका से भारत ने सितंबर में लगभग 2.06 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल खरीदा, जिससे वह भारत का पाँचवाँ सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना।
विविधीकरण की दिशा में कदम
रिटोलिया ने कहा कि भारतीय रिफाइनरी अब पश्चिम एशिया, अमेरिका और अफ्रीका से आयात बढ़ाने की दिशा में सक्रिय हैं ताकि आपूर्ति स्रोतों में संतुलन बना रहे। इसके बावजूद, लागत लाभ के चलते निकट भविष्य में रूस भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बना रहेगा। भारत की ऊर्जा नीति विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक तेल बाज़ार में अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत को अपने आयात स्रोतों का रणनीतिक प्रबंधन करना होगा, ताकि घरेलू ऊर्जा मांग पूरी करने के साथ-साथ कूटनीतिक संतुलन भी बनाए रखा जा सके।
