Rahul Gandhi’s remarks on India’s manufacturing sector: राहुल गांधी के बयान के बाद भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर बहस तेज है। सरकारी आंकड़े, IIP डेटा, औद्योगिक उत्पादन और PLI योजनाओं के आधार पर जानिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वास्तविक स्थिति।
देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की स्थिति को लेकर एक बार फिर सियासी और आर्थिक बहस तेज हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में जर्मनी दौरे के दौरान म्यूनिख में बीएमडब्ल्यू प्लांट का दौरा करने के बाद सोशल मीडिया पर दावा किया कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कमजोर हो रहा है और मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए एक सशक्त मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम जरूरी है। उनके इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या वास्तव में भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दबाव में है, या फिर सरकारी आंकड़े कोई और तस्वीर पेश कर रहे हैं।
औद्योगिक उत्पादन और मैन्युफैक्चरिंग में सुधार के संकेत
सरकारी और आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बीते कुछ समय से लगातार सुधार देखा जा रहा है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (IIP) के आंकड़े बताते हैं कि उत्पादन गतिविधियां सकारात्मक रुख बनाए हुए हैं।
मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ के ताजा आंकड़े
वर्ष 2025 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में करीब 5.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई 2025 में मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 5.4 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर 2025 में यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई। अक्टूबर 2025 में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पिछले वर्ष की तुलना में 1.8 प्रतिशत की बढ़त दिखाई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े 23 इंडस्ट्री ग्रुप्स में से 9 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, जो सेक्टर में स्थिर सुधार की ओर इशारा करती है।
औद्योगिक उत्पादन में तेजी
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के मोर्चे पर भी सुधार के संकेत मिले हैं। अगस्त और सितंबर 2025 में इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट करीब 4 प्रतिशत तक पहुंच गई। इससे पहले जुलाई में यह 3.5 प्रतिशत और जून में 1.5 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों से पहले बढ़ी मांग और टैक्स रिफॉर्म्स ने उत्पादन गतिविधियों को गति देने में अहम भूमिका निभाई है।
बिजली और भारी उद्योग का प्रदर्शन
सितंबर 2025 में बिजली सेक्टर में सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह बढ़त महज 0.5 प्रतिशत थी। भारी उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारी इंजीनियरिंग उपकरणों का उत्पादन 2020-21 में 2.66 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 5.69 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वहीं, भारी बिजली उपकरणों का उत्पादन भी इसी अवधि में 1.67 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.64 लाख करोड़ रुपये हो गया।
किन सेक्टरों ने ग्रोथ को दिया सहारा
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के भीतर मेटल, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, मोटर वाहन और लकड़ी आधारित उत्पादों में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज की गई है। इन सेक्टरों का मजबूत प्रदर्शन समग्र मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ का बड़ा आधार बना है।
दुनिया में तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था
सरकार का कहना है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं (PLI Schemes) और अन्य नीतिगत कदमों के चलते देश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां लगातार मजबूत हो रही हैं। भारत की मौजूदा जीडीपी ग्रोथ दर 8.2 प्रतिशत बताई जा रही है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे तेज मानी जा रही है। इस ग्रोथ में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान करीब 17 प्रतिशत है।
गौरतलब है किराहुल गांधी के बयान के बाद भले ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर सवाल खड़े हुए हों, लेकिन सरकारी आंकड़े और आर्थिक डेटा एक अलग तस्वीर पेश करते हैं। औद्योगिक उत्पादन, बिजली क्षेत्र और भारी उद्योग में लगातार सुधार के संकेत मिल रहे हैं। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर दबाव में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे मजबूती की ओर बढ़ता नजर आ रहा है।
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