
Enforcement Directorate
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले 10 वर्षों में 193 मामलों में वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। हालांकि, इनमें से केवल दो मामलों में दोषसिद्धि हो सकी है। राज्यसभा में 18 मार्च 2025 को एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2015 से फरवरी 2025 के बीच ईडी ने 193 मामले दर्ज किए, लेकिन इनका राज्यवार डेटा उपलब्ध नहीं है।
केवल दो मामलों में दोषसिद्धि
- हरि नारायण राय (2016-17): झारखंड के पूर्व मंत्री हरि नारायण राय को 7 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना।
- अनोश एक्का (2019-20): झारखंड के पूर्व मंत्री अनोश एक्का को 7 साल की सजा और 2 करोड़ रुपये का जुर्माना।
दोनों मामलों में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कार्रवाई हुई थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की या नहीं। आपको बता दें कि ईडी ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में सबसे अधिक 32 मामले दर्ज किए, जो वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ थे।
ईडी किन कानूनों के तहत जांच करता है?
ईडी मुख्य रूप से तीन प्रमुख कानूनों के तहत आर्थिक अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करता है:
- प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA)
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA)
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA)
सरकार का क्या है पक्ष?
मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि ईडी केवल विश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर जांच करता है और इसमें राजनीतिक संबद्धता, धर्म या किसी अन्य कारक का भेदभाव नहीं होता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईडी की कार्रवाई हमेशा न्यायिक समीक्षा के दायरे में होती है और विशेष अदालतों, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रति एजेंसी जवाबदेह है। विशेषज्ञों की मानें तो ईडी द्वारा 193 मामलों में केवल दो दोषसिद्धियां यह संकेत देती हैं कि या तो जांच में कोई कमी रही है या अदालत में पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं किए जा सके।