नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने विश्वकर्मा पूजा के मौके पर देश के करोड़ों लोगों को उपहार दिया। उन्होंने नई दिल्ली में नवनिर्मित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में रविवार को विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत भारत सरकार ने 13000 करोड़ रुपए का कोष बनाया है। इस सरकारी कोष से पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ मिल पाएगा। इस योजना के तहत 18 पारंपरिक व्यवसायों का शामिल किया गया है, जिससे करीब 30 लाख परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
इस योजना में क्या है प्रावधान?
इस योजना के तहत भारत सरकार शिल्पकारों को 1 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाएगा। इसके लिए मात्र 5 प्रतिशत का व्याज देना होगा। वहीं अगले चरण में ये राशि 2 लाख रुपए कर दी जाएगी। इसके साथ ही उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इस योजना का नाम पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना नाम रखा गया है। इस योजना से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाती, पिछड़ा वर्ग, महिलाएं और कमजोर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाया जाएगा। इसका सीधा फायदा लोहार, सोनार, बढ़ई, मूर्तिकार, कुम्हार, दर्जी, मोची आदि को मिलेगा। इसके माध्यम से सरकार शिल्पकारों के उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाकर घरेलू और वैश्विक बाजार के साथ जोड़ा जाएगा।


इस मौके पर पीएम मोदी ने क्या कहा?
इस योजना को लॉन्च करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “हमारे यहाँ कहा गया है- जो समस्त संसार की रचना और उससे जुड़े निर्माण कार्य करता है, उसे विश्वकर्मा कहते हैं। हजारों साल से जो साथी बनाने के मूल रहे हैं, वे विश्वकर्मा हैं। जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही सामाजिक जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की भूमिका होती है। समाज के विकास में विश्वकर्मा साथियों का बड़ा योगदान है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी जिंदगी में लोहार, दर्जी, जूते वालों की अहमियत कभी खत्म नहीं हो सकती है। हम आज भी मटके और सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं। शायद ही कोई गाँव होगा, जहाँ 18 प्रकार के काम करने वाले लोग नहीं होंगे। इस योजना में इस सभी लोगों को शामिल किया गया है। सरकार योजना के लिए 13,000 करोड़ खर्च करने वाली है।”
किन व्यवसायों का नाम इस योजना से जोड़ा गया है?
विश्वकर्मा योजना के तहत बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले, हथौड़ा और घरेलू एवं छोटे कृषि उपकरण बनाने वाले, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार एवं पत्थर तराशने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी-चटाई एवं झाड़ू जैसे छोटे सामान बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली का जाल बनाने वाले कामगारों का शामिल किया गया है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इस साल लाल किले से विश्वकर्मा योजना की घोषणा की थी। सरकार ने छोटे कामगारों, कौशल वाले लोगों की आर्थिक मदद के लिए इस योजना को लॉन्च करने की बात कही थी। इस योजना को तीन मंत्रालयों एमएसएमई, कौशल विकास और वित्त मंत्रालय मिलकर लागू करेंगे।