प्रधानमंत्री मोदी ने चिनाब ब्रिज समेत 46 हजार करोड़ की परियोजनाएं देश को समर्पित की, तिरंगा लेकर ब्रिज पर चले पीएम

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज और भारत के पहले केबल-स्टे अंजी ब्रिज का उद्घाटन किया। ₹46,000 करोड़ की यूएसबीआरएल परियोजना और वंदे भारत ट्रेन से कश्मीर को नई रेल कनेक्टिविटी मिली।

श्रीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जम्मू-कश्मीर को एक ऐतिहासिक सौगात दी, जब उन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज, भारत के पहले केबल-स्टे रेल ब्रिज अंजी ब्रिज और उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना का उद्घाटन किया। करीब 46,000 करोड़ रुपए की इन सामरिक और तकनीकी दृष्टि से महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस दौरान प्रधामंत्री मोदी हाथों में तिरंगा लेकर लहराते हुए नजर आए।

इसके साथ ही, उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर तक दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाई, जो क्षेत्र में रेल संपर्क को और मजबूत करेंगी। जम्मू स्टेशन पर चल रहे निर्माण कार्य के चलते फिलहाल वंदे भारत ट्रेनों का संचालन कटरा से श्रीनगर तक किया जाएगा, लेकिन सितंबर 2025 से यह सेवा जम्मू से श्रीनगर तक पूरी तरह शुरू हो जाएगी।

चिनाब ब्रिज: तकनीक, रणनीति और संकल्प का प्रतीक

चिनाब ब्रिज एक अभूतपूर्व इंजीनियरिंग चमत्कार है। 359 मीटर ऊंचे इस ब्रिज की ऊंचाई एफिल टॉवर और कुतुब मीनार से भी अधिक है। यह 1,315 मीटर लंबा स्टील आर्च ब्रिज है जो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब नदी के ऊपर दो विशाल पहाड़ों को जोड़ता है। यह ब्रिज भूकंपीय क्षेत्र-5 में स्थित है और इसे 260 किमी/घंटा की तेज हवाओं का सामना करने लायक बनाया गया है। तेज़ हवाओं के चलते इस क्षेत्र में विंड टनल फिनोमेना होता है, जिसे ध्यान में रखते हुए इसकी संरचना को विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया।

अंजी ब्रिज: भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज

अंजी खड्ड पर बना अंजी ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टे रेल ब्रिज है। यह पुल भी कठिन भूगर्भीय परिस्थितियों और भूकंपीय गतिविधियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसकी तकनीकी संरचना इसे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला लिंक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।

सामरिक महत्व: चिनाब चक्रव्यूहसे बढ़ी सीमा सुरक्षा

यह पूरी परियोजना सिर्फ कनेक्टिविटी नहीं, बल्कि रणनीतिक बढ़त भी सुनिश्चित करती है। पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के इर्द-गिर्द निर्मित यह रेल लिंक राजौरी, पुंछ और शोपियां जैसे सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों को सीधे कश्मीर घाटी से जोड़ती है। इन इलाकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी घुसपैठ की घटनाएं होती रही हैं। पीर पंजाल दर्रा, जिसे पीर की गली भी कहा जाता है, मुगल रोड पर स्थित है और ऐतिहासिक रूप से एक रणनीतिक मार्ग रहा है। अब इस रेल संपर्क के माध्यम से भारतीय सेना और नागरिक प्रशासन को अधिक तेज़, सुरक्षित और ऑल-वेदर सप्लाई लाइन मिलेगी।

विकास और सुरक्षा का संगम

प्रधानमंत्री मोदी ने इन परियोजनाओं को “न्यू इंडिया की नई रफ्तार” बताया। उनका यह कदम सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत की सीमाएं अब केवल पहाड़ियों से नहीं, बल्कि लोहे के पुलों और वंदे भारत की पटरियों से सुरक्षित रहेंगी। यह रेल नेटवर्क न केवल कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, बल्कि टूरिज्म, कारोबार और सामाजिक समरसता के नए द्वार भी खोलता है। साथ ही, यह परियोजना एक संकेत है कि भारत अब पर्वतीय दुर्गमता को पराजित कर चुका है।

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