Pahalgam Terror Attack: कश्मीर की शांति पर वार, 28 निर्दोषों की हत्या से थम गई घाटी की रफ्तार

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला (Pahalgam Terror Attack), 28 पर्यटकों की मौत। कश्मीर की शांति और पर्यटन उद्योग पर गंभीर असर, जानिए पूरी रिपोर्ट।
जम्मू: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत और शांत माने जाने वाले पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस बर्बर हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, जो अपने परिवार के साथ कुछ खुशनुमा पल बिताने कश्मीर आए थे। हमला इतना अचानक और भयावह था कि चश्मदीदों के अनुसार, चारों ओर चीख-पुकार और भगदड़ मच गई। कुछ मिनटों में जन्नत सरीखी वादियां मातम में बदल गईं।
हमला ऐसे समय में हुआ जब घाटी लौट रही थी सामान्य स्थिति की ओर
यह हमला उस वक्त हुआ है जब कश्मीर लंबे समय बाद विकास और स्थिरता की राह पर लौट रहा था। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद और कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद घाटी में एक सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा था। 2021 से 2024 के बीच घाटी में पर्यटन का जबरदस्त उछाल आया। आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2021 में 1 करोड़ 13 लाख पर्यटक, 2022 में 1 करोड़ 88 पर्यटक, 2023 में 2 करोड़ 11 लाख पर्यटक और 2024 में 2 करोड़ 36 लाख पर्यटक राज्य में पहुंचें। अकेले 27 लाख पर्यटक सिर्फ कश्मीर में पहुंचे।
डल लेक पर शिकारे एक बार फिर सैलानियों से भरने लगे थे। पहलगाम, गुलमर्ग, सोनमर्ग जैसे पर्यटन स्थल फिर से रौनक से गुलजार हो रहे थे। होटल्स फुल, टैक्सियां बुक और गाइड्स व्यस्त थे। लेकिन अब इस हमले ने इस भरोसे और विकास की प्रक्रिया पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
टूरिज्म सेक्टर को भारी आर्थिक झटका
जम्मू-कश्मीर टूरिज्म पॉलिसी 2020 के अनुसार, पर्यटन का घाटी की कुल आर्थिक उत्पाद (GSDP) में करीब 7% से अधिक योगदान है। यह क्षेत्र सालाना ₹11,000 करोड़ का सीधा आर्थिक लाभ देता है और लगभग 50,000 नए रोजगार हर वर्ष पैदा करता है। इस हमले के बाद होटल बुकिंग्स रद्द होने लगी हैं, फ्लाइट्स कैंसिल की जा रही हैं और स्थानीय लोगों में डर का माहौल है। ख़बर लिखे जाने तक करीब 30 फीसदी बुकिंग कैंसिल की गई है। जिसमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल, बिहार और नॉर्थ ईस्ट के पर्यटक हैं।
आजीविका पर संकट: शिकारावाले से लेकर टैक्सी ड्राइवर तक प्रभावित
कश्मीर में हजारों लोग सीधे तौर पर टूरिज्म से जुड़े हुए हैं। जिसमें से शिकारा वाले, टैक्सी चालक, हस्तशिल्प विक्रेता, गाइड्स और होटल स्टाफ और कई इलाकों में खच्चर वाले शामिल हैं। इन सबके अलावा पहलगाम और कश्मीर के अन्य हिस्सों का एडवेंचर स्पोर्टस भी शामिल है। अब सबके सामने रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
फल व्यापार पर भी मंडरा रहा खतरा
सिर्फ टूरिज्म नहीं, कश्मीर का फल व्यापार भी इस हमले से अछूता नहीं रहेगा। सोपोर की फल मंडी का सालाना टर्नओवर ₹7,000 करोड़ तक पहुंच चुका था, जिससे हजारों किसान और मजदूर जुड़े हैं। लेकिन बार-बार की हिंसा इस सेक्टर की भी रीढ़ तोड़ सकती है।
टूटती उम्मीदें और लौटता डर
पहलगाम का यह हमला कश्मीर के उस ‘नए भविष्य’ पर हमला है जो शांति, विकास और अवसरों से भरा हुआ था। देशभर के पर्यटक कश्मीर को फिर से गले लगाने लगे थे। लेकिन अब फिर से एक बार डर की चादर घाटी पर लिपट गई है। इस हमले ने न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था और कूटनीतिक प्रयासों को चुनौती दी है। अब ज़रूरत है ठोस रणनीतिक और मानवीय दृष्टिकोण की, ताकि घाटी फिर से अपने पुराने दर्द में न लौट जाए, बल्कि शांति, सुरक्षा और विकास की ओर आगे बढ़े।