India at UNSC: यूएनएससी बैठक में भारत ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की भलाई के लिए तालिबान से व्यावहारिक और यथार्थवादी तरीके से संवाद जारी रहना चाहिए। भारत ने आतंकवाद, मानवीय संकट और महिला अधिकारों पर गंभीर चिंता जताई।
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अफगानिस्तान संबंधी बैठक में भारत ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान से एक व्यावहारिक और यथार्थवादी दृष्टिकोण के साथ जुड़ाव बनाए रखना चाहिए। भारत ने कहा कि तालिबान को पूरी तरह नजरअंदाज करना न तो अफगानिस्तान के हित में है और न ही वैश्विक स्थिरता के लिए सही कदम होगा।
भारत ने बताया कि अफगानिस्तान की जनता आज गंभीर आर्थिक संकट, खाद्य असुरक्षा, कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रही है। भारत के अनुसार, यदि दुनिया तालिबान से संवाद बंद कर देगी तो ये समस्याएँ और अधिक विकराल रूप ले सकती हैं। हालांकि भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि बातचीत का अर्थ तालिबान की नीतियों का समर्थन करना नहीं है। बल्कि, संवाद जिम्मेदारियों और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करवाने की दिशा में होना चाहिए।
भारत ने परिषद को याद दिलाया कि वह लगातार अफगान नागरिकों की सहायता करता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अफगान परिवारों के लिए खाद्यान्न, दवाइयाँ, सर्दियों के कपड़े और आवश्यक राहत सामग्री भेजी है। भारत ने दोहराया कि उसका सहयोग किसी राजनीतिक सत्ता या समूह के लिए नहीं, बल्कि केवल अफगान जनता के कल्याण के लिए है।
आतंकवाद पर चिंता जताते हुए भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती से सक्रिय आतंकी नेटवर्क न सिर्फ पड़ोसी देशों बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा बने हुए हैं। भारत ने वैश्विक समुदाय से आग्रह किया कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के आतंकवादी अभियान या प्रशिक्षण के लिए न होने पाए और इसके लिए सख्त निगरानी और सहयोग की आवश्यकता है।
चर्चा के दौरान भारत ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। भारत ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता से वंचित की जा रही महिलाओं की भागीदारी के बिना अफगानिस्तान कभी भी स्थिरता और विकास के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ सकता।
अंत में भारत ने दोहराया कि उसका उद्देश्य अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देना है। भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगान जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए तालिबान से दबाव और संवाद—दोनों के संतुलित रूप में काम करना चाहिए, क्योंकि एक स्थिर अफगानिस्तान पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
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