
नई दिल्ली: लोकसभा में वुधवार को दो तिहाई बहुमत से महिला आरक्षण बिल, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है, पास हो गया है। इसके लिए लोकसभा में दिलभर बहस हुई, जिसकी शुरुआत सोनिया गांधी के भाषण से हुआ। इस बिल को पास कराने के लिए पर्चियों के माध्यम से वोटिंग कराई गई। इस वोटिंग के दौरान बिल के समर्थन में 454 वोट पड़े जबकि विरोध में 2 वोट पड़े। वहीं भाषण के दौरान पक्ष और विपक्ष के करीब करीब लोगों ने अपनी – अपनी बात रखी। लोकसभा में बिल पास होने के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी लोकसभा में मौजूद थे।
बिल में क्या है प्रावधान?
फिलहाल महिला आरक्षण बिल लोकसभा में तो पास हो गया और अब बारी राज्यसभा की है। अगर ये बिल वहां भी पास हो जाता है तो 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। वहीं विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट रिजर्व हो जाएगी। इस विधेय़क में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। हालांकि संसद के पास इसे आगे बढ़ाने का भी अधिकार है। कानून मंत्री ने सदन में इस बात की जानकारी सदन में दी है कि एससी एसटी के लिए भी इस आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा।

कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने अपने भाषण से इस चर्चा की शुरुआत की। इसके अलावा राहुल गांधी, गृहमंत्री अमित शाह, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी सहित करीब 60 सदस्यों ने इस बिल पर चर्चा के दौरान अपनी – अपनी बातें रखीं। खास बात तो ये है कि इस चर्चा में 27 महिला सदस्यों ने भी अपनी बात सदन के सामने रखी और बिल का समर्थन किया। अपने संबोधन के दौरान राहुल गांधी ने बिल का तो समर्थन किया लेकिन इस बीच उन्होंने मोदी सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने एकबार फिर वही राग अलापा कि नई संसद के प्रवेश के मौके पर राष्ट्रपति को क्यों नहीं बुलाया गया।

इतना ही नहीं, इस दौरान राहुल गांधी ने जाति जनगणना पर भी जोर दिया। राहुल गांधी ने काह कि महिलाएं 7, 8 साल तक का इंतजार क्यों करें। राहुल ने आगे कहा कि भारत सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी समुदाय में से आते हैं। राहुल गांधी ने इस बिल में ओबीसी को शामिल ना करने को अपमानजनक बताया है।