
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) होने वाले हैं। इस चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 39 उम्मीदवारों वाली अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। इस दूसरी लिस्ट में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इस लिस्ट में मोदी सरकार के कई मंत्रियों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया है। इतना ही नहीं, कई सांसदों को भी बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। अपनी दूसरी लिस्ट से बीजेपी ने साफ कर दिया है कि इस बार के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती और साथ ही पार्टी को उम्मीद है कि इसका फायदा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा।
बीजेपी ने कुल 7 सांसदों को दिया विधानसभा का टिकट
बीजेपी ने 3 केन्द्रीय मंत्रियों को लोकसभा से विधानसभा में भेजना चाह रही है। जिसके लिए पार्टी ने कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल को टिकट दिया है। वहीं सांसद गणेश सिंह, रीति पाठक और राकेश सिंह को भी पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारा है। इस लिस्ट बीजेपी के फायर ब्रांड नेता कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी शामिल है। आपको बता दें कि नरेन्द्र सिंह तोमर दिमनी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे तो वहीं प्रह्लाद पटेल नरसिंहपुर से चुनाव लड़ेंगे और फग्गन सिंह कुलस्ते निवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
पश्चिम बंगाल चुनाव में अपना चुकी है ये फॉर्मूला
ऐसा पहली बार नहीं है कि बीजेपी ने इस फॉर्मूले को अपनाया हो। इससे पहले पश्चिम बंगाल चुनाव में भी बीजेपी ने अपने मंत्रियों और सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। उस वक्त पार्टी ने केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद लॉकेट चटर्जी, स्वप्न दास, निशित प्रामाणिक, जगन्नाथ सरकार को चुनावी मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने केंन्द्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को भी विधानसभा चुनाव लड़वाया था।
आपको बता दें कि बीजेपी ने अबतक कुल 78 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इससे पहले 17 अगस्त को बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी और अब ये 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर सबको चौंका दिया है।

पिछले चुनाव में क्या रहा था समीकरण?
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं जिसके लिए बहुमत का आंकड़ा 116 है। पिछली विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस (Congress) का प्रदर्शन अच्छा रहा था और कांग्रेस से 114 सीटें जीती थी। वहीं बीजेपी ने 109 सीटें अपने नाम की थी। यहां मायावती की पार्टी बसपा को भी 2 सीटें मिली थीं और अन्य को 5 सीटें मिली। बसपा के दो सीटों के समर्थन से यहां कांग्रेस ने सरकार बनाई और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, लेकिन यहां 15 महीने में ही सरकार गिर गई। सरकार गिरने का कारण था ज्योतिरादित्य सिंधिया का बीजेपी में शामिल होना। फिर शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की कमान संभाली।