India-US Tariff Dispute: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और व्यापारिक नीतियों पर बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। यह बैठक ऊर्जा व्यापार, कृषि बाजार और टैरिफ विवाद पर सुलह की दिशा में अहम साबित हो सकती है।
नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और व्यापारिक नीतियों को लेकर तनाव लगातार गहराता जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत के प्रति अपने दूसरे कार्यकाल में अधिक आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। इस बीच, कूटनीतिक स्तर पर एक अहम विकास हुआ है—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं। इस दौरान वे न्यूयॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के वार्षिक सत्र में हिस्सा लेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। माना जा रहा है कि यह बैठक, दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक मतभेदों को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
7 महीनों में दूसरी मुलाकात
यदि यह मुलाकात तय होती है, तो यह पिछले सात महीनों में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की दूसरी आमने-सामने की वार्ता होगी। फरवरी में पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस का दौरा किया था, जहां दोनों नेताओं ने मित्रवत संबंधों का प्रदर्शन किया था। हालांकि, हाल के महीनों में टैरिफ, ऊर्जा व्यापार और कृषि बाजार तक पहुंच जैसे मुद्दों ने रिश्तों में खटास डाल दी है।
ट्रंप की नाराज़गी के कारण
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के प्रति नाराज़गी के कई कारण सार्वजनिक रूप से व्यक्त किए हैं। सबसे प्रमुख विवाद रूस से भारत द्वारा तेल की खरीद को लेकर है। अमेरिका का मानना है कि रूस इस आय का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में कर रहा है, जबकि भारत का तर्क है कि सस्ती कीमत पर तेल खरीदना उसके नागरिकों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने का कदम है।
इसके अलावा, ट्रंप चाहते हैं कि भारत अमेरिकी डेयरी और कृषि उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे खोले। अमेरिकी प्रशासन का दावा है कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन में सुधार होगा। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि किसानों के हितों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक मंचों पर कहा है कि “किसानों का हित सर्वोपरि है” और इससे जुड़े मुद्दों पर कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
टैरिफ विवाद का बढ़ता असर
अमेरिका ने भारत पर पहले ही 25% टैरिफ लगा रखा था, लेकिन रूस से तेल आयात जारी रखने के बाद ट्रंप प्रशासन ने अतिरिक्त 25% शुल्क लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। यह कदम भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर सीधा असर डाल रहा है और कई क्षेत्रों में निर्यात-आयात की लागत बढ़ा दी है।
बैठक से उम्मीदें और चुनौतियां
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी बैठक में टैरिफ विवाद, ऊर्जा व्यापार, और कृषि क्षेत्र में बाजार पहुंच जैसे मुद्दे एजेंडे में शीर्ष पर रहेंगे। हालांकि, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, रक्षा सहयोग और वैश्विक मंचों पर आपसी सहयोग के कारण संवाद के दरवाजे पूरी तरह बंद होने की संभावना नहीं है। अगर यह बैठक सकारात्मक परिणाम देती है, तो न केवल टैरिफ विवाद में नरमी आ सकती है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी यह एक सकारात्मक संकेत होगा। वहीं, असफलता की स्थिति में यह तनाव लंबे समय तक बना रह सकता है, जो दोनों देशों के आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को प्रभावित करेगा।