West Bengal: तीन साल बाद पश्चिम बंगाल में मनरेगा बहाल, केंद्र ने लागू की सख्त विशेष शर्तें

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MGNREGA Restored in West Bengal: केंद्र सरकार ने तीन साल बाद पश्चिम बंगाल में मनरेगा को सख्त विशेष शर्तों के साथ बहाल कर दिया है। ई-केवाईसी, बायोमेट्रिक उपस्थिति, तिमाही श्रम बजट और 20 लाख से अधिक की परियोजनाओं पर रोक जैसे नियम लागू किए गए हैं।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने तीन साल के लंबे अंतराल के बाद पश्चिम बंगाल में मनरेगा (MGNREGA) को विशेष शर्तों के साथ फिर से बहाल कर दिया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 6 दिसंबर को जारी आदेश में कहा गया है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में राज्य में मनरेगा का भावी क्रियान्वयन तत्काल प्रभाव से शुरू किया जा रहा है। इसकी जानकारी राज्य सरकार को भी दे दी गई है। मंत्रालय ने आदेश के साथ Annexure A जारी किया है, जिसमें जॉब कार्ड सत्यापन, बायोमेट्रिक उपस्थिति, वित्तीय प्रबंधन, श्रम बजट, कार्य स्वीकृति, निगरानी और जवाबदेही से जुड़ी कई सख्त शर्तें जोड़ी गई हैं। इनका उद्देश्य योजना के क्रियान्वयन में पूर्ण पारदर्शिता और अखंडता सुनिश्चित करना है।

केंद्र ने स्पष्ट किया है कि राज्य को सभी मनरेगा श्रमिकों का 100% ई-केवाईसी पूरा कराना होगा और केवल ई-केवाईसी के बाद ही मस्टर रोल जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही श्रम बजट, जो आमतौर पर वर्षभर के लिए मंजूर किया जाता है, अब तिमाही आधार पर मंजूर किया जाएगा। यह मंजूरी राज्य के प्रदर्शन और विशेष शर्तों के अनुपालन के आधार पर दी जाएगी। एक अन्य प्रमुख शर्त के अनुसार, राज्य में मनरेगा के तहत 20 लाख रुपये से अधिक लागत वाले किसी भी कार्य की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी सामुदायिक कार्यों के लिए DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) अनिवार्य होगी और 20 लाख रुपये तक की परियोजनाओं को जिलाधिकारी (DM) और जिला कार्यक्रम समन्वयक (DPC) की मंजूरी से ही स्वीकृति मिल सकेगी। सभी अनुमान ‘सिक्योर सॉफ्ट’ के माध्यम से तैयार किए जाएंगे ताकि रिकॉर्ड डिजिटल और सुरक्षित रहे।

केंद्र ने बताया कि 9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को जारी मनरेगा फंड रोक दिया गया था, क्योंकि राज्य “केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन” करने में विफल रहा था। बाद में उच्च न्यायालय ने योजना को फिर से शुरू करने को कहा और विशेष शर्तें तय करने का अधिकार केंद्र को सौंपा। नई शर्तों के साथ मनरेगा की बहाली से राज्य के लाखों ग्रामीण श्रमिकों को राहत मिलने की उम्मीद है, हालांकि कड़े नियमों के चलते राज्य सरकार पर बेहतर पारदर्शिता और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का दबाव भी बढ़ गया है।

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