
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी और धन-संपत्ति की पूजा का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस का सीधा संबंध समुद्र मंथन से है। इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी, जो धन-संपत्ति की देवी हैं, और भगवान धन्वंतरि, जो स्वास्थ्य के देवता हैं, प्रकट हुए थे। इस दिन माता लक्ष्मी को धन का प्रतीक और धन्वंतरि देव को स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
यम दीप जलाने का महत्व
धनतेरस की शाम को यम दीप जलाना बेहद शुभ माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यम दीपक जलाने से परिवार के सभी सदस्यों को अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है। पूरे वर्ष में धनतेरस का दिन एकमात्र ऐसा अवसर होता है जब यमराज की पूजा की जाती है और उनके लिए दीपक जलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दीपक को जलाने से यमराज परिवार की रक्षा करते हैं और परिवार पर किसी भी प्रकार की अशुभ ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता।
यम दीप जलाने का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष धनतेरस के दिन यम दीप जलाने का शुभ मुहूर्त शाम को 5:38 बजे से लेकर 6:55 बजे तक है। इस दौरान आप अपने घर में 5 छोटे दीपक जला सकते हैं और एक विशेष चौमुखी दीपक यमराज को समर्पित कर सकते हैं।
यम दीप जलाने की दिशा और विधि
यमराज को समर्पित दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए क्योंकि यह दिशा यमराज की मानी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से यमराज आपके परिवार को अकाल मृत्यु से बचाते हैं और नकारात्मक शक्तियां आपके घर से दूर रहती हैं। दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से आपके पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं और आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इस प्रकार, धनतेरस पर यम दीप जलाने की परंपरा का पालन करके आप अपने परिवार की सुरक्षा और सुख-शांति का आह्वान कर सकते हैं।