
Lalu Yadav
भारत में राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ घोटाले इतने बड़े होते हैं कि वे न केवल सत्ताधारी वर्ग की नैतिकता पर सवाल उठाते हैं बल्कि आम जनता के विश्वास को भी हिला देते हैं। ऐसा ही एक मामला है “लैंड फॉर जॉब” (नौकरी के बदले जमीन) घोटाले का, जिसने भारतीय राजनीति में भूचाल ला दिया। इस घोटाले में आरोप है कि रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई। यह मामला बिहार में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार से जुड़ा हुआ है।
क्या है लैंड फॉर जॉब घोटाला?
“लैंड फॉर जॉब” घोटाले का संबंध 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे। इस घोटाले में आरोप है कि रेलवे में ग्रुप-D की नौकरियों के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली गई। यह जमीन नाममात्र की कीमत पर या बिना किसी भुगतान के, लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और उनके करीबी लोगों के नाम पर करवाई गई। इस मामले की जांच सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) कर रही है और आरोप पत्र में कहा गया है कि रेलवे की भर्तियों में अनियमितताओं के तहत कई लोगों को बिना किसी वैध प्रक्रिया के नौकरी दी गई, जबकि उनके परिवारों ने पटना और अन्य जगहों पर जमीन लालू परिवार से जुड़े लोगों को ट्रांसफर की।
कैसे हुआ खुलासा?
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब सीबीआई को रेलवे भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतें मिलीं। जांच के दौरान पता चला कि कई उम्मीदवारों की संपत्तियाँ बेहद कम कीमतों पर यादव परिवार से जुड़े लोगों के नाम पर ट्रांसफर की गई थीं। सीबीआई ने जब इन लेन-देन की गहराई से जांच की तो पता चला कि जिन लोगों ने जमीन दी थी, उन्हें रेलवे में नौकरी मिली थी।
सीबीआई ने अप्रैल 2022 में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
मुख्य आरोपी और उनकी भूमिका
इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें मुख्य रूप से:
- लालू प्रसाद यादव – पूर्व रेल मंत्री
- राबड़ी देवी – बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री
- तेजस्वी यादव – बिहार के उपमुख्यमंत्री
- लालू परिवार के अन्य सदस्य और सहयोगी
- रेलवे के कुछ पूर्व अधिकारी
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में कई बार लालू परिवार के घरों और ठिकानों पर छापेमारी की और कई दस्तावेज जब्त किए।
कैसे हुआ जमीन का लेन-देन?
इसके लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों को रेलवे की ग्रुप-D नौकरियों के लिए चुना गया। बदले में उन उम्मीदवारों से पटना और अन्य क्षेत्रों में उनकी जमीन बेहद कम कीमत पर खरीदी गई। यह संपत्तियाँ बाद में लालू यादव के परिवार के नाम पर या उनके करीबी लोगों को ट्रांसफर कर दी गईं। सीबीआई की मानें तो, कई मामलों में जमीन की कीमत बाज़ार मूल्य से बहुत कम थी और कभी-कभी कोई वास्तविक भुगतान भी नहीं किया गया था।
इस मामले में अब तक की कार्रवाई
- 2022: सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की।
- 2023: लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से पूछताछ की गई।
- 2024: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाया कि इस घोटाले के जरिए 600 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की गई।
- मार्च 2024: सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की और तेजस्वी यादव के खिलाफ भी कार्रवाई तेज कर दी गई।
यह घोटाला बिहार की राजनीति में भूचाल लाने वाला साबित हुआ है। राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है, जबकि बीजेपी इसे भ्रष्टाचार का सबूत बता रही है। महागठबंधन सरकार पर भी असर पड़ा, क्योंकि तेजस्वी यादव पर कानूनी दबाव बढ़ता जा रहा है।
लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू यादव परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अगर अदालत में आरोप साबित होते हैं, तो यह मामला भारत के राजनीतिक इतिहास में एक और बड़े भ्रष्टाचार घोटाले के रूप में दर्ज होगा। वहीं, अगर लालू परिवार खुद को निर्दोष साबित करने में सफल होता है, तो इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा जाएगा। आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई और सीबीआई की जांच क्या मोड़ लेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।