
नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन्हें 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार इलाके में एक पिता-पुत्र की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एडवोकेट एच.एस. फूल्का ने कहा, “यह एक बड़ा फैसला है। अदालत ने माना कि सज्जन कुमार को फांसी की सजा दी जानी चाहिए थी, लेकिन उनकी उम्र 80 साल से अधिक होने और स्वास्थ्य खराब होने के कारण ऐसा नहीं किया गया। कानून के अनुसार, 80 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को **फांसी की सजा नहीं दी जा सकती।”
दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने SIT गठित कर इन मामलों को दोबारा खोला। ये मामले 35 साल से बंद थे और सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर और कमल नाथ जैसे नेता मंत्री और सांसद के रूप में खुलेआम घूमते थे। हम मृत्युदंड की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन अब उम्मीद है कि जगदीश टाइटलर और कमल नाथ के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।”
35 साल बाद आया इंसाफ
1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। इन दंगों में हजारों सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर, कमल नाथ सहित कई कांग्रेस नेताओं पर भीड़ को उकसाने और सिखों के नरसंहार में शामिल होने के आरोप लगे थे।
SIT के गठन के बाद दोबारा शुरू हुई जांच
साल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया था, जिसने 1984 दंगों से जुड़े मामलों की दोबारा जांच शुरू की। इसके बाद 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में भी दोषी ठहराकर दूसरी उम्रकैद की सजा सुनाई है।
परिजनों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद दंगा पीड़ितों के परिवारों ने इसे न्याय की दिशा में एक अहम कदम बताया है। हालांकि, कई पीड़ित परिवारों का कहना है कि वास्तविक न्याय तभी मिलेगा जब सभी दोषियों को कठोरतम सजा मिलेगी।