Jagdeep Dhankhar Resignation: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अचानक राष्ट्रपति भवन जाकर इस्तीफा सौंप दिया। पूर्व सूचना के बिना इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सोमवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन वह राज्यसभा की कार्यवाही में पूरी सक्रियता के साथ नजर आए, लेकिन उसी रात लगभग रात 9 बजे उन्होंने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दिया। यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उनके इस दौरे की कोई पूर्व सूचना नहीं थी, न ही राष्ट्रपति भवन के सामान्य प्रोटोकॉल के तहत उनके आगमन का कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था।
आपको बता दें कि राष्ट्रपति भवन जैसी संवैधानिक संस्था में किसी भी गणमान्य व्यक्ति के आगमन की पूर्व सूचना, सुरक्षा व्यवस्था और मीटिंग शेड्यूल की स्पष्ट रूपरेखा पहले से तय होती है। लेकिन इस बार मामला अलग था। सूत्रों के अनुसार, जगदीप धनखड़ के आगमन की जानकारी राष्ट्रपति भवन को अचानक दी गई, जिसके बाद मिलिट्री सेक्रेटरी को सूचित किया गया और पूरे प्रोटोकॉल को जल्दबाज़ी में सक्रिय किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उनके आगमन की जानकारी दी गई और कुछ ही समय बाद धनखड़ ने औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया।
आधे घंटे बाद ट्वीट से दी जानकारी
राष्ट्रपति भवन या सरकार की ओर से इस अप्रत्याशित घटनाक्रम को लेकर कोई आधिकारिक बयान तुरंत जारी नहीं किया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में कई तरह के अनुमान और अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, करीब आधे घंटे बाद जगदीप धनखड़ के आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से उनके इस्तीफे की पुष्टि कर दी गई।
वहीं दूसरी ओर इस घटनाक्रम के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा कर दी, लेकिन इस बीच यह सवाल अब भी बना हुआ है कि धनखड़ ने इतनी जल्दबाज़ी में इस्तीफा क्यों दिया, जब तक कि कोई गंभीर कारण न हो।
कोई पूर्व संकेत नहीं था
धनखड़ द्वारा सत्र के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही को सामान्य रूप से संचालित किया गया था। उन्होंने किसी भी तरह से यह संकेत नहीं दिया था कि वह अपने पद से हटने जा रहे हैं। इसके चलते न केवल सरकार और विपक्ष बल्कि राष्ट्रपति भवन के अधिकारी भी इस फैसले से चकित रह गए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह का निर्णय किसी भीतरूनी दबाव, स्वास्थ्य कारण, या राजनीतिक असहमति के चलते हो सकता है, लेकिन अभी तक किसी भी पक्ष ने इन संभावनाओं की पुष्टि नहीं की है। न ही धनखड़ ने अब तक अपने इस्तीफे का कारण सार्वजनिक किया है।
उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद से इस प्रकार का अचानक इस्तीफा भारतीय राजनीति में असामान्य माना जाता है। यह न केवल संस्थाओं की प्रक्रियाओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि इससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके पारदर्शी संचालन पर भी चर्चा शुरू हो गई है। अब सभी की नजरें राष्ट्रपति भवन और धनखड़ स्वयं पर टिकी हैं कि वे इस नाटकीय फैसले के पीछे की सच्चाई को कब सामने लाते हैं? राजनीतिक गलियारों से ने निकल कर ये सच बाहर आता है भी या नहीं…