दिल्ली में बीजेपी की वापसी, क्या अब अगला लक्ष्य पश्चिम बंगाल?

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता में वापसी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में बीजेपी को आम आदमी पार्टी (AAP) को मात देने में 12 साल लग गए। यह जीत बीजेपी के लिए न केवल राष्ट्रीय राजनीति में आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है, बल्कि इसका असर आगामी चुनावों, खासकर 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।

दिल्ली की जीत और बीजेपी का आत्मविश्वास

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वर्चस्व को तोड़ना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती थी। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने बीते एक दशक में दिल्ली की राजनीति पर मजबूत पकड़ बना ली थी, लेकिन बीजेपी ने आखिरकार इस किले को भेद दिया। वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के अनुसार, “बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब ममता बनर्जी हैं। दिल्ली में मिली सफलता के बाद बीजेपी और आक्रामक तरीके से बंगाल में अपनी रणनीति लागू करेगी।”

ममता बनर्जी का मजबूत किला

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का किला अब भी अभेद्य नजर आता है। 1998 में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की स्थापना के बाद से ममता बनर्जी ने राज्य की राजनीति में खुद को एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया है। 2011 में उन्होंने 34 साल पुरानी वामपंथी सरकार को सत्ता से बेदखल कर बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया। तब से लेकर अब तक, ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की पकड़ मजबूत बनाए रखी है।

बीजेपी ने पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में बंगाल की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जब पार्टी ने राज्य में दो सीटें जीतीं। 2016 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को केवल तीन सीटें मिलीं, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। इसके बावजूद, 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने 215 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता बरकरार रखी, जबकि बीजेपी 77 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी।

2024 लोकसभा चुनाव और बीजेपी की चुनौती

2024 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर ली। पार्टी ने 42 में से 29 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी को छह सीटों का नुकसान हुआ और वह 12 सीटों पर सिमट गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि बंगाल में बीजेपी को अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। बंगाल में ममता बनर्जी को चुनौती देने के लिए बीजेपी को न केवल संगठन को मजबूत करना होगा, बल्कि बंगाली अस्मिता के मुद्दे का भी प्रभावी जवाब देना होगा।

बीजेपी की रणनीति और आगे की राह

बीजेपी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि पश्चिम बंगाल में उसे एक मजबूत स्थानीय चेहरा नहीं मिल पाया है। पार्टी को अभी भी मोदी के करिश्मे पर निर्भर रहना पड़ता है, जबकि ममता बनर्जी एक जमीनी नेता हैं, जिनकी कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त पकड़ है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, “फिलहाल बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। कांग्रेस और वाम दल हाशिये पर जा चुके हैं। ऐसे में बीजेपी को अगर ममता बनर्जी को चुनौती देनी है, तो उसे राज्य में ज्यादा जमीनी कार्यकर्ताओं और मजबूत नेतृत्व की जरूरत होगी।”

विपक्ष की एकता बनाम मोदी फैक्टर

दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन किया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में अलग-अलग लड़े। इससे विपक्ष को नुकसान हुआ और बीजेपी को फायदा मिला। यही कारण है कि विजय त्रिवेदी मानते हैं कि “अगर विपक्ष को मोदी को रोकना है, तो सभी दलों को एकजुट होना होगा। ममता बनर्जी को हराना असंभव नहीं है, लेकिन उनके मजबूत जनाधार को देखते हुए यह आसान भी नहीं होगा।”

क्या 2026 में बंगाल में खिलेगा कमल?

बीजेपी की मौजूदा रणनीति और 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि 2026 में पार्टी ममता बनर्जी को सत्ता से हटा पाएगी। हालांकि, दिल्ली में जीत से बीजेपी को नई ऊर्जा मिली है, और वह पूरी ताकत से बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास करेगी।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी बंगाल में अपनी रणनीति कैसे बदलती है और ममता बनर्जी इस चुनौती का सामना कैसे करती हैं। क्या 2026 में बंगाल में सत्ता परिवर्तन होगा, या फिर ममता बनर्जी एक बार फिर बीजेपी को मात देने में सफल होंगी? इसका जवाब समय ही देगा।

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