
नई दिल्ली: पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में शासन कर रही आम आदमी पार्टी सरकार प्रदेश को लगातार कर्ज के दलदल में धकेलती जा रही है। ऐसा हम नहीं बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेता भगवंत मान सरकार पर ऐसा आरोप लगा रहे हैं। चाहे पंजाब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हो या फिर कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धु हों। दोनों ने पंजाब की मान सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार प्रदेश को कर्ज के अंधेरे में धकेलती जा रही है। अगर ऐसा लगातार चलता रहा तो इनके 5 साल के कार्यकाल को पूरा करते करते पंजाब के उपर इतना कर्ज चढ़ जाएगा कि उसे उतार पाना अगली सरकार के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।
क्या है कर्ज का पूरा गणित?
दरअसल पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने पंजाब की जनता से वादा किया था कि दिल्ली की तर्ज पर ही वो जनता को मुफ्त बिजली और पानी देगी। सरकार बनने के बाद मान सरकार ने जनता से किए इस वादे को पूरा भी किया। जनता को मुफ्त बिजली और पानी तो मिलती रही लेकिन प्रदेश धीरे धीरे पंजाब के उपर कर्ज को बोझ बढ़ता गया। पंजाब के बजट के मुताबिक, पंजाब पर अभी 2023-24 में प्रभावी बकाया कर्ज प्रदेश की जीएसडीपी का 46.81 फीसदी होने की संभावना जताई गई है। इसके बावजुद भी पंजाब सरकार प्रदेश की जनता को हर साल 7,780 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी और किसानों को 9064 करोड़ रुपये की मुफ्त बिजली मुहैया करा रही है। पंजाब सरकार हर महीने घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली मुफ्त में दे रही है। सरकार की मानें तो करीब 90 फीसदी घरों में बिजली बिल करीब करीब जीरो हो गया है। मतलब सरकार पर अतिरिक्त वित्तिय बोझ बढ़ गया है, नतीजा सरकार के उपर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका ही नतीजा ये है कि सरकार जनता से किए हुए बांकी वादे निभाने में नाकाम साबित हो रही है, जैसे कि हर व्यस्क महिला के लिए 1000 रुपये, लेकिन ये योजना अभी भी लागू होने का बाज जोह रही है।
पंजाब सरकार पर तो पहले से 3.12 लाख करोड़ का कर्ज है। इसी बीच सरकार ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करेगी। हालांकि सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया लेकिन इस योजना को अबतक बहाल नहीं कर पाई। दरअसल मौजूदा ओपीएस के तहत 1 करोड़ 26 लाख कर्मचारी पहले से ही इसमें शामिल हैं। वहीं सरकार का कहना है कि इस स्कीम से अगले 5 साल में 4100 से अधिक कर्मचारियो को लाभ मिलेगा। अब इसमें शुरु में करीब करीब हर साल 1000 करोड़ रुपये का योगदान होगा जो धीरे धीरे बढ़ता ही जाएगा। साथ ही एनपीएस के साथ मौजूदा संचित को। 16,746 करोड़ रुपये का है, जिसे पंजाब सरकार ने पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) से वापस करने का अनुरोध किया है, लेकिन केन्द्र ने इसके लिए इंकार कर दिया।
राज्यपाल से इसको लेकर क्या कहा?
इसी बीच पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से पंजाब सरकार के कर्ज की रिपोर्ट मांग ली है। उन्होंने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखी और पैसे के सही इस्तेमाल का पूरा ब्यौरा मांग दिया। उन्होंने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से पुछा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आने के बाद से राज्य पर 50 हजार करोड़ का कर्ज बढ़ गया है, इसकी डिटेल्स दें ताकि वो प्रधानमंत्री को बता सकें कि सारा पैसा सही ढंग से इस्तेमाल हुआ है।