
Pahalgam Terror Attack
पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में 28 नागरिकों की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ रुख कड़ा किया है। सिंधु जल संधि की समीक्षा और संभावित कार्रवाई से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को दहला कर रख दिया है। इस हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जबकि 17 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। घटना के बाद देशभर में गुस्से और शोक की लहर दौड़ गई है। अब भारत ने आतंक के खिलाफ अपनी रणनीति को और आक्रामक करते हुए पाकिस्तान के प्रति रुख कड़ा कर लिया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने आतंकी हमलों में पाकिस्तान की कथित भूमिका को देखते हुए सिंधु जल संधि की समीक्षा करने और इसके प्रावधानों को ठंडे बस्ते में डालने पर विचार शुरू कर दिया है। भारत द्वारा इस दिशा में कदम उठाए जाने से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नक़वी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा समाप्त नहीं कर सकता, क्योंकि इसकी निगरानी और मध्यस्थता विश्व बैंक के तहत आती है। नक़वी ने विवादास्पद बयान जारी करते हुए चेतावनी दी कि यदि भारत ने कोई भी कदम उठाया तो पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार है।
इसी कड़ी में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी भारत के खिलाफ उग्र बयानबाजी की। भुट्टो ने सिंधु नदी को पाकिस्तान की “धरोहर” बताते हुए कहा, “या तो सिंधु से हमारा पानी बहेगा या फिर उनका खून जो हमारी हिस्सेदारी छीनना चाहता है।” उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान की अवाम किसी भी साजिश का डटकर मुकाबला करने के लिए तैयार है।
सिंधु जल संधि की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में ऐतिहासिक ‘सिंधु जल संधि’ पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों — रावी, ब्यास और सतलज — के जल उपयोग का अधिकार दिया गया, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के जल का अधिकार प्राप्त है। भारत का दावा है कि वह अब तक संधि के सभी प्रावधानों का पूरी तरह पालन करता रहा है, लेकिन बार-बार हो रहे आतंकी हमलों और सीमा पार से छेड़खानी को देखते हुए अब इस संधि पर पुनर्विचार करना समय की मांग बन गई है।
भारत की अगली रणनीति
जानकारों का मानना है कि भारत सिंधु जल संधि को हथियार बनाकर पाकिस्तान पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। अगर भारत अपने हिस्से के जल का अधिकतम उपयोग करने लगता है तो इससे पाकिस्तान के जल संसाधनों पर भारी असर पड़ सकता है। फिलहाल भारत सरकार इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अध्ययन कर रही है ताकि आगे का कोई भी कदम वैधानिक रूप से मजबूती से उठाया जा सके।
आपको बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले ने भारत की पाकिस्तान नीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत अपने फैसलों से पाकिस्तान पर किस तरह का दबाव बनाता है और आने वाले समय में क्षेत्रीय हालात किस दिशा में बढ़ते हैं।