टैरिफ विवाद पर भारत का कड़ा रुख, विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को दिया दो-टूक जवाब

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India’s Strong Stand on Tariff Dispute: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को अनुचित और बेवजह बताया। उन्होंने कहा कि किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा भारत की प्राथमिकता है और इस पर कोई समझौता नहीं होगा। रूस से तेल खरीद को लेकर भी उन्होंने अमेरिका के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाया।

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते टैरिफ विवाद को लेकर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है। शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ न केवल अनुचित हैं, बल्कि पूरी तरह से बेवजह भी हैं। अमेरिकी ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जिसमें से 25% टैरिफ पहले ही लागू हो चुका है और शेष 25% आगामी 27 अगस्त से लागू होने वाला है। अमेरिका ने इसके पीछे तर्क दिया है कि भारत रूस से तेल और ऊर्जा की खरीद कर रहा है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा कि तेल और ऊर्जा खरीद को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है और भारत के निर्णय पूरी तरह उसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं। विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार किसानों, छोटे उत्पादकों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर कोई समझौता संभव नहीं है। जयशंकर ने कहा, हमारी सरकार का संकल्प है कि किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की सुरक्षा करनी है, और इस विषय में किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब यूरोप और चीन रूस से भारत की तुलना में कई गुना अधिक व्यापार करते हैं, तो केवल भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है। जयशंकर ने इस दोहरे मापदंड पर सवाल खड़े किए और इसे अनुचित बताया। भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि बातचीत का सिलसिला जारी है और दोनों देश समाधान की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्होंने साफ किया कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र रूप से फैसले लेने का अधिकार है और इस अधिकार पर किसी भी तरह की कटौती स्वीकार नहीं की जाएगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान सीजफायर करवाने के दावे पर भी जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत पिछले पांच दशकों से किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता। उन्होंने कहा कि यह भारत की एक स्थायी नीति है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। हाल ही में रूस यात्रा के दौरान जयशंकर ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की थी। इस यात्रा को भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन का हिस्सा माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा परिस्थिति में भारत का यह स्पष्ट रुख न केवल अमेरिका को जवाब है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह संदेश भी देता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए दृढ़ है और किसी भी बाहरी दबाव में झुकने वाला नहीं है।

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