अमेरिकी टैरिफ चुनौती के बाद भारत ने बदली रणनीति, 40 देशों में टेक्सटाइल निर्यात बढ़ाने का बनाया खाका

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India’s New Textile Export Strategy: अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने के बाद भारत ने टेक्सटाइल निर्यात को बढ़ाने के लिए 40 देशों में आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर गुणवत्ता और टिकाऊ टेक्सटाइल आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करना है।

नई दिल्ली: अमेरिका की ओर से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाने के बाद भारत सरकार ने अपनी टेक्सटाइल निर्यात रणनीति को और मजबूत करने की ठोस योजना तैयार कर ली है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इस टैरिफ से भारत के 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। प्रभावित क्षेत्रों में टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़ा, जूते, रसायन और मशीनरी जैसे उद्योग शामिल हैं।

हालांकि भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदलने का निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी देश को भारत की नीतियों को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसी दृष्टिकोण के तहत सरकार ने वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक व्यापक योजना बनाई है।

नई रणनीति के तहत भारत 40 देशों में विशेष आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने जा रहा है। इनमें यूनाइटेड किंगडम, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, कनाडा, मैक्सिको, रूस, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं। इन देशों का वैश्विक परिधान और टेक्सटाइल आयात 590 अरब डॉलर से अधिक है, जिसमें फिलहाल भारत की हिस्सेदारी केवल 5-6 प्रतिशत तक सीमित है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि भारत इन देशों में लक्षित रणनीति अपनाकर खुद को एक भरोसेमंद आपूर्ति साझेदार के रूप में स्थापित करना चाहता है। इसके लिए “गुणवत्ता, टिकाऊपन और नवाचार” को निर्यात नीति का मूल आधार बनाया जाएगा। अधिकारी ने कहा, हमारी कोशिश है कि भारत को वैश्विक स्तर पर विश्वसनीय टेक्सटाइल आपूर्तिकर्ता के रूप में पहचान मिले। इसके लिए नए बाजारों पर फोकस किया जा रहा है।”

सरकार का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न चुनौती भारत को अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने का अवसर प्रदान कर रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि भारत इस मौके का सही उपयोग करता है, तो आने वाले वर्षों में देश की हिस्सेदारी वैश्विक टेक्सटाइल व्यापार में दोगुनी हो सकती है। इस नई रणनीति से उम्मीद जताई जा रही है कि न केवल भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को नया बल मिलेगा, बल्कि लाखों बुनकरों और उद्योग से जुड़े श्रमिकों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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