भारत की लूटी गई विरासत, ब्रिटिश उपनिवेशवाद की कड़वी सच्चाई, जख्म फिर हुए हरे

नई दिल्ली: भारत के ब्रिटिश उपनिवेशकाल का कड़वा सच एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम की सालाना रिपोर्ट में सामने आया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत से 1765 से 1900 के बीच लगभग 648.2 खरब डॉलर की संपत्ति लूटी। यह केवल आर्थिक शोषण नहीं था, बल्कि इसका असर भारतीय समाज, उद्योग और संस्कृति पर भी गहराई से पड़ा।
सोने की चिड़िया से गरीबी का केंद्र
18वीं सदी तक भारत का हिस्सा वैश्विक औद्योगिक उत्पादन में 25% था, लेकिन ब्रिटिश नीतियों के कारण यह हिस्सा 19वीं सदी के अंत तक घटकर मात्र 2% रह गया। कपड़ा उद्योग, जो भारत की पहचान और समृद्धि का केंद्र था, पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया।
अमेरिकी इतिहासकार माइक डेविस ने अपनी पुस्तक लेट विक्टोरियन होलोकॉस्ट्स में लिखा,
“ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को नष्ट कर दिया। भारतीय वस्त्रों पर भारी कर लगाए गए, जबकि ब्रिटिश उत्पाद भारतीय बाजारों में सस्ते दामों पर बेचे गए।”
बंगाल का अकाल: करों और शोषण की क्रूर सजा
1770 में ब्रिटिश कर नीतियों के कारण बंगाल में भीषण अकाल पड़ा, जिसमें एक करोड़ लोग मारे गए। अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक का अनुमान है कि ब्रिटिश शासन ने 1765 से 1938 के बीच भारत से लगभग 450 खरब डॉलर की संपत्ति करों, जबरन निर्यात और “होम चार्जेज” के माध्यम से निकाली।
इतिहासकार रोमेश चंद्र दत्त ने अपनी किताब द इकनॉमिक हिस्ट्री ऑफ इंडिया में लिखा,
“ब्रिटिश शासन का मुख्य उद्देश्य भारत के राजस्व को ब्रिटेन भेजना था। इसके परिणामस्वरूप कृषि, उद्योग और आम लोगों का जीवन पूरी तरह बर्बाद हो गया।”
1943 का बंगाल अकाल: चर्चिल की नीतियों का नतीजा
1943 में बंगाल में एक और भीषण अकाल पड़ा, जिसमें 30 लाख से अधिक लोग मारे गए। मधुश्री मुखर्जी, अपनी पुस्तक चर्चिल्स सीक्रेट वॉर में लिखती हैं,
“ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने जानबूझकर अनाज को बंगाल के भूखे लोगों तक पहुंचने से रोका। उन्होंने इसे ब्रिटिश सैनिकों और अन्य देशों के लिए भेजा।”
सांस्कृतिक धरोहरों की लूट
ब्रिटिश शासन ने न केवल भारत की आर्थिक संपत्ति, बल्कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को भी लूटा। कोहिनूर हीरा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो आज भी ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।
प्रसिद्ध इतिहासकार विल ड्यूरांट ने अपनी पुस्तक द केस फॉर इंडिया में लिखा,
“ब्रिटिश विजय एक उच्च सभ्यता पर एक व्यापारी कंपनी का आक्रमण था। यह नैतिकता और सिद्धांतों से पूरी तरह विहीन था।”
आर्थिक शोषण का गहरा प्रभाव
ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को व्यवस्थित तरीके से गरीब बनाया। आजादी के 75 साल बाद भी भारत उन घावों से पूरी तरह उबर नहीं पाया है। ब्रिटिश राज के दौरान भारत के संसाधनों की जो लूट हुई, वह केवल आर्थिक आंकड़ों का मामला नहीं है। यह लूट एक सभ्यता को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से कमजोर करने की कहानी है। आज जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है, तब इस इतिहास को याद रखना और उससे सीख लेना जरूरी है।