UN Report on Myanmar: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक थॉमस एंड्रयूज की म्यांमार पर रिपोर्ट को “पूर्वाग्रहपूर्ण” बताते हुए सिरे से खारिज किया। पहलगाम आतंकी हमले और म्यांमार शरणार्थियों पर लगाए गए आरोपों को भारत ने तथ्यहीन कहा, साथ ही शांति और लोकतंत्र की बहाली का समर्थन दोहराया।
नई दिल्ली: भारत ने म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र (UN) के एक विशेष प्रतिवेदक द्वारा की गई “निराधार और पूर्वाग्रहपूर्ण टिप्पणियों” को कड़े शब्दों में खारिज किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर हुए इंटरएक्टिव संवाद के दौरान भारतीय संसद सदस्य दिलीप सैकिया ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप “तथ्यों से पूरी तरह परे” हैं और यह “एकतरफा तथा संकीर्ण दृष्टिकोण” को दर्शाते हैं।
सैकिया ने कहा, “मैं अपने देश से संबंधित रिपोर्ट में की गई निराधार और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के निर्दोष नागरिक पीड़ितों के प्रति विशेष प्रतिवेदक का दृष्टिकोण निंदनीय है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत “म्यांमार से आए विस्थापित लोगों को लेकर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता” और यह दावा कि भारत ने उन पर “दबाव डाला” या “निर्वासन की धमकी दी”, पूरी तरह असत्य है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक थॉमस एंड्रयूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में म्यांमार के शरणार्थियों पर “कड़ा दबाव” डाला जा रहा है, जबकि इस हमले में म्यांमार के किसी व्यक्ति की कोई भूमिका नहीं थी। एंड्रयूज ने यह भी कहा था कि भारत में शरणार्थियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और निर्वासन की धमकी दी गई।
भारत ने इन सभी दावों को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह रिपोर्ट “अप्रमाणित और पक्षपातपूर्ण मीडिया स्रोतों” पर आधारित है, जिनका उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना है। सैकिया ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग सौहार्दपूर्वक रहते हैं। हमारे यहां 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हैं। इस प्रकार के दावे हमारे समाज की विविधता और एकता पर प्रहार करने जैसे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत म्यांमार में “शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की बहाली” के लिए हरसंभव प्रयासों का समर्थन करता है। सैकिया ने हिंसा के तत्काल अंत, राजनीतिक बंदियों की रिहाई, मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति और समावेशी राजनीतिक संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, “स्थायी शांति केवल सहभागितापूर्ण और विश्वसनीय चुनावों के माध्यम से ही संभव है।”
भारत ने यह भी कहा कि म्यांमार की बिगड़ती स्थिति का प्रभाव सीमापार क्षेत्रों पर भी पड़ रहा है, जिसमें मादक पदार्थों, हथियारों और मानव तस्करी जैसी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इसके बावजूद भारत ने हमेशा “जन-केंद्रित दृष्टिकोण” अपनाया है।
सैकिया ने याद दिलाया कि मार्च 2025 में म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया था, जिसके तहत एक हजार मीट्रिक टन से अधिक राहत सामग्री और चिकित्सा दल भेजे गए थे। यह कदम भारत की मानवीय नीतियों की निरंतरता का प्रतीक है, जो पहले ‘ऑपरेशन सद्भाव’ (2024 के टाइफून यागी के दौरान) जैसी पहलों में भी देखी गई थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मई 2025 में दिल्ली में 40 रोहिंग्या शरणार्थियों, जिनमें महिलाएँ और बच्चे शामिल थे, को हिरासत में लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप भेजा गया। इस पर भारत ने प्रतिक्रिया दी कि यह कार्रवाई “राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था से जुड़ी चिंताओं” के तहत की गई थी, न कि किसी धार्मिक या जातीय आधार पर। अंत में भारत ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वह “संतुलित और तथ्यपरक दृष्टिकोण” अपनाए और “एकतरफा मीडिया रिपोर्टों या अपुष्ट आरोपों” पर आधारित निष्कर्षों से बचे।
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