
Increasing dispute over Waqf properties, need for reform or attempt to control?
भारत में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम संगठनों और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है। जहां सरकार इसे पारदर्शिता और सुधार का कदम बता रही है, वहीं आलोचकों का मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास है।
क्या है वक्फ और क्यों उठ रहा है विवाद?
इस्लामी परंपरा में वक्फ का अर्थ किसी संपत्ति को धार्मिक या सामाजिक कार्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित कर देना है। यह संपत्तियां बेची नहीं जा सकतीं, न ही उत्तराधिकार में दी जा सकती हैं। भारत में ऐसी करीब 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं, जो कुल 9.4 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं। वक्फ बोर्ड इनका प्रबंधन करता है, लेकिन समय के साथ इन संपत्तियों पर अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
केंद्र सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता की कमी है और इन्हें अधिक जवाबदेह बनाने की जरूरत है। लेकिन मुस्लिम संगठनों को आपत्ति इस बात पर है कि सरकार इन संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है।
वक्फ संशोधन विधेयक में क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?
सरकार के नए विधेयक में वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम प्रतिनिधि और दो महिला सदस्यों को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, यह भी शर्त रखी गई है कि वही व्यक्ति संपत्ति दान कर सकता है जिसने पिछले पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन किया हो और संपत्ति का कानूनी मालिक हो। इस प्रस्ताव को लेकर विवाद इसलिए बढ़ा है क्योंकि कई वक्फ संपत्तियां सदियों पहले मौखिक रूप से दान कर दी गई थीं और उनके पास कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिना दस्तावेज वाली संपत्तियों पर दान की वैधता को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है?
क्या कहती है सच्चर कमेटी की रिपोर्ट?
2006 में आई सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग पर जोर दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ बोर्डों के पास अपनी संपत्तियों के प्रभावी इस्तेमाल से हर साल 120 अरब रुपये की आय उत्पन्न करने की क्षमता है, लेकिन मौजूदा समय में यह आय सिर्फ दो अरब रुपये के करीब है। इसके अलावा, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 58,889 वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे हैं, जबकि 13,000 संपत्तियों पर कानूनी कार्यवाही चल रही है।
क्या यह मुस्लिम संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण की कोशिश है?
समाजशास्त्री प्रोफेसर मुजीबुर्रहमान के अनुसार, “वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन समय के साथ बदलता रहा है, लेकिन सरकार का यह कदम मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सीधा नियंत्रण स्थापित करने की रणनीति हो सकता है।” दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता बढ़ाना है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन संपत्तियों की रक्षा के लिए कोई अन्य समाधान निकाला जा सकता है, या फिर सरकार और मुस्लिम संगठनों के बीच टकराव और बढ़ेगा?
क्या है आगे की राह?
वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद नया नहीं है, लेकिन इस बार मामला संवेदनशील होता जा रहा है। जहां सरकार इसे सुधार की दिशा में एक जरूरी कदम मानती है, वहीं मुस्लिम संगठनों को डर है कि यह सामुदायिक संपत्तियों पर राज्य का नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस विधेयक को लेकर क्या रुख अपनाती है और मुस्लिम समाज इस पर कैसी प्रतिक्रिया देता है। सवाल यह भी है कि क्या सरकार और मुस्लिम समुदाय के बीच संवाद के जरिए समाधान निकाला जा सकता है, या फिर यह विवाद लंबे समय तक चलता रहेगा?