
नई दिल्ली: शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव के लिए वोटिंग होई। इसके लिए करीब 16000 से ज्यादा छात्रों ने NOTA का विकल्प चुना। DUSU चुनाव के लिए कुल 53,452 छात्र-छात्राओं ने वोटिंग की और उनमें से 16.559 छात्र-छात्राओं ने NOTA का विकल्प चुना। नोटा पर इतना वोट पड़ना अपने आप में आश्चर्य वाली बात है। इससे ये पता चलता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के अंदर छात्र संघ के चुनाव में पैसे और ताकत के बल पर जो चुनावी खेल चलता है, इसमें छात्रों की रुचि कम होती जा रही है। मतलब अब छात्र भी धीरे धीरे जागरुक हो रहे हैं और वो भी फेयर चुनाव का हिस्सा बनना चाहते हैं।
दरअसल शुक्रवार को हुए चुनाव में वोटों की गिनती शनिवार को हुई। लेकिन नोटा पर पड़े वोट ने NSUI और ABVP के बीच मुकाबले को और कड़ा बना दिया। वहीं वामपंथी दलों जैसे कि SFI और AISA सहित जितने भी वामपंथी दल थे उनकी हालत तो और ज्यादा खराब रही। वामपंथी दलों की वोटिंग को नोटा में पड़े वोटों की संख्या से भी कम रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के 32 कॉलेजों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने जीत दर्ज की, जिसमें से 9 कॉलेजों में तो क्लिन स्वीप रहा। ABVP ने अध्यक्ष पद सहित तीन सीटों के लिए जीत दर्ज की। जबकि NSUI के खाते में मात्र एक सीट आई।
ABVP के तुषार डेढ़ा ने अध्यक्ष पद पर काबिज हुए। उन्हें कुल 23,460 वोट मिले। वहीं अपराजिता सचिव पद पर काबिज हुईं। उन्हें कुल 24,543 वोट मिले। सचिन बैसला संयुक्त सचिव पद के लिए विजयी हुए और उन्हें 24,955 वोट मिले। जबकि NSUI के अभी दहिया ने उपाध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की। उन्हें कुल 22,331 सीट मिले। वही दूसरी पार्टियों की बात करें तो एक वक्त था कि नॉर्थ कैंपस में वामपंथी दलों की तूती बोलती थी, लेकिन इस साल तो उनके चुनावी नतीजे हैरान करने वाले आए।
आइसा ने अध्यक्ष पर के लिए आयशा अहमद खान, उपाध्यक्ष के लिए अनुष्का चौधरी, सचिव के लिए आदित्य प्रताप सिंह और संयुक्त सचिव के लिए अंजलि कुमारी को चुनावी मैदान में उतारा था। अध्यक्ष पद के लिए आयशा 3335 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहीं। वही उपाध्यक्ष पद के लिए अनुष्का को 3492 वोट पड़े। जबकि उनके मुकाबले नोटा को 3,914 वोट पड़े।