
पटना: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। बिहार में मुकाबला NDA औऱ INDIA गठबंधन के बीच है। लेकिन बिहार की राजनीतिक में विकास के मुद्दे से बड़ा महत्व रहता सोशल इंजीनियरिंग का। जिसका इस्तेमाल लालू यादव की पार्टी आरजेडी बड़े लंबे समय से करती आ रही है। MY फैक्टर यहां हर चुनाव में सिर चढ़ कर बोलता है। तो लाजमी है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भी लालू यादव के इस MY फैक्टर से आरजेडी को तो फायदा पहुंच ही सकता है, साथ ही इसका फायदा INDIA गठबंधन को भी होगा। लेकिन बीजेपी ने इसके खिलाफ भी कमर कस ली है। दरअसल बीजेपी ने एक ऐसा प्लान तैयार किया है, जिससे आरजेडी को नुकसान हो सकता है।
क्या है बीजेपी का मास्टर प्लान?
इंडिया गठबंधन को नुकासन कराने के ख्याल से बीजेपी ने आरजेडी के दो पक्के वोट बैंक पर सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। मतलब बिहार के मुस्लिम और यादव वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए रणनीति भी लगभग तैयार कर लिया गया है। इसके तहत बीजेपी 14 नवंबर को पटना का बापू सभागार में यादवों को पार्टी में शामिल करने के लिए एक विशाल सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। इसके लिए बीजेपी ने महाभारत सीरियल में भगवान श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले अभिनेता नीतीश भारद्वाज की मदद लेगी। पटना में होने वाले इस सम्मेलन में हजारों यादवों को बीजेपी में शामिल करने की तैयारी चल रही है। इस सम्मेलन में केन्द्री. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे।
बिहार में यादवों की संख्या सबसे ज्यादा
हाल ही जारी हुए जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक बिहार यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी यादव वोट को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी ही करेगी। वहीं अगर बीजेपी यादवों का 20 से 30 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हो जाती है तो बिहार में पार्टी का रास्ता साफ हो जाएगा। आपको बता दें कि 2014 और 2019 के चुनाव में बिहार के जातिगत समीकरण की वजह से बीजेपी को सफलता मिली थी। 2014 में बीजेपी जब अकेले चुनाव लड़ी थी तो उस वक्त तो उसे फायदा मिला ही था। वहीं 2019 में जब जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ी तो यादव और मुस्लिम वोटरों का भी बीजेपी को समर्थन मिला।
सैयद शाहनवाज हुसैन को पार्टी कर सकती है आगे
बिहार के अंदर 2024 में चुनावी समीकरण बदल गए हैं। यहां जहां बीजेपी के साथ कुछ छोटे दल हैं तो वही कांग्रेस, आरजेडी और जदयू ने अलग से एक खेमा बना लिया है। मतलब यहां कांटे की टक्कर होने वाली है। ऐसे में अब ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी शहनवाज हुसैन को आगे कर सकती है। क्योंकि शहनवाज हुसैन पार्टी में बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं। 2005 के चुनाव में एनडीए ने शरद यादव के साथ शहनवाज हुसैन को भी चुनाव प्रचार में उतारा था। अब ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का ये मास्टर प्लान कितना कारगर साबित होता है?