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बीजिंग/नई दिल्ली: चीन (China) की विस्तारवादी नीति और उसकी सैन्य क्षमताओं में हो रहे तेज़ बदलावों को लेकर एक बार फिर से वैश्विक चिंता गहराती दिख रही है। हाल ही में गूगल मैप्स पर सामने आई एक सैटेलाइट तस्वीर ने चीन की समुद्री सैन्य शक्ति में हो रहे अहम बदलावों की पुष्टि की है। यह तस्वीरें चीन के शेडोंग प्रांत में स्थित किंगदाओ के पास मौजूद ‘फर्स्ट सबमरीन बेस’ की हैं, जहाँ कम से कम छह परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियाँ देखी गई हैं।
यह सबमरीन बेस पीले सागर के तट पर, किंगदाओ शहर से लगभग 18 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति चीन को पूर्वी चीन सागर, जापान सागर और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में त्वरित पहुँच की रणनीतिक सुविधा प्रदान करती है, जिससे इस ठिकाने का सामरिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
ऑस्ट्रेलियाई नौसेना विशेषज्ञ एलेक्स लक द्वारा साझा की गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, इस बेस पर कम से कम पाँच सक्रिय परमाणु पनडुब्बियाँ मौजूद हैं। इनमें दो टाइप 091, दो टाइप 093ए और एक अज्ञात पनडुब्बी शामिल है। लक का अनुमान है कि अज्ञात पनडुब्बी फिलहाल डीकमिशनिंग या मरम्मत की प्रक्रिया में हो सकती है। इसके अतिरिक्त, चीन की एकमात्र बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी टाइप 092 भी इन तस्वीरों में देखी गई है, जिसे धीरे-धीरे उन्नत टाइप 094 मॉडल द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है।
चीन की नौसेना क्षमताओं में वृद्धि की इस कड़ी में टाइप 041 नामक नवीनतम परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बी की भी चर्चा हो रही है, जो कथित तौर पर पिछले वर्ष मई या जून में एक शिपयार्ड में डूब गई थी। हालांकि इस हादसे की चीन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई, फिर भी इसे चीन की तेज़ी से बढ़ रही समुद्री महत्वाकांक्षाओं के रास्ते में एक अस्थायी झटका माना जा रहा है।
चीनी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी कैप्टन वेन ज़ुएक्सिंग पहले ही संकेत दे चुके हैं कि चीन अब अपनी पनडुब्बी नीति में पारंपरिक इंजनों की बजाय परमाणु ऊर्जा चालित जहाजों पर विशेष जोर दे रहा है। यह भविष्य की चीनी नौसेना रणनीति की रीढ़ बनने जा रही है।
चीन की इस आक्रामक सैन्य नीति को देखते हुए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गई हैं। विशेष रूप से ताइवान, जो लगातार चीन के दबाव का सामना कर रहा है, अब अपनी रक्षा तैयारियों को तेज़ी से उन्नत कर रहा है। इसी क्रम में ताइवान ने हाल ही में अपना 14 दिवसीय ‘हान कुआंग’ युद्धाभ्यास शुरू किया है। इस अभ्यास का पहला चरण कंप्यूटर आधारित सिमुलेशन पर केंद्रित है, जिसमें अमेरिकी सैन्य प्रणाली की मदद से चीन के संभावित पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है।