
श्रीनगर: जब देश सो रहा तो उस वक्त जम्मू-कश्मीर में इतिहास रचा जा रहा था। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि श्रीनगर के लाल चौक पर पहली बार अखिल भारतीय जन्मभूमि रथ यात्रा पहुंची और घंटा घर क्षेत्र में इतिहास में पहली बार पूजा की गई। साथ ही हनुमान चालीसा का भी पाठ किया गया। खास बात तो ये है कि आस पास लोगों ने भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जो अपने आप में एक इतिहास है।
घाटी में पहली बार जन्मभूमि रथ यात्रा की एंट्री हुई
जम्मू-कश्मीर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब आखिल भारकीय जन्मभूमि रथ यात्रा का कश्मीर में प्रवेश हुआ है। ये यात्रा वुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंची है। आपको बता दें कि स्वामी गोविन्द सरस्वती महाराज के सान्निध्य में अखिल भारतीय जन्मभूमि रथ यात्रा अलग अलग राज्यों से गुजर कर 12 अक्तूबर को कश्मीर के दुर्गानाथ मंदिर पहुंची थी। उसके बाद ये यात्रा अगले दिन कुपवाड़ा के टिकर में खीर भवानी माता मंदिर से होकर गुजरी और फिर 14 अक्तूबर को टीटवाल के सीमांत इलाके में पहुंची। कुपवाड़ा के बाद ये यात्रा श्रीनगर के लाल चौक पर पहुंची और फिर यहां के हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। इस यात्रा का अगला पड़ाव कटरा स्थित वैष्णो देवी मंदिर है।
क्या है इस यात्रा का मकसद?
जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक इस यात्रा का मकसद है समाज में भक्ति जागरुकता लाना और देशभर में एकता और गौरव के लिए रामायण का संदेश पहुंचाना। साथ ही साथ इस यात्रा का उद्देश्य किष्किंधा में लोगों को आमंत्रित करना। आपको बता दें कि अयोध्या में राम जन्मूमि पर बन रहे राम मंदिर की तर्ज पर ही कर्नाटक के किष्किंधा में हनुमान जन्मबूमि पर भी एक मंदिर निर्माण होना है। इस मंदिर को बनाने के लिए समर्थन और सहयोग के लिए ये यात्रा देशभर में निकाली गई है।
इस यात्रा के श्रीनगर के लाल चौक पर पहुंचने के दौरान यहां जश्न का माहौल था। यहाँ पहुंचे दर्जनों पर्यटकों ने भी पूजा और हनुमान चालीसा पाठ में हिस्सा लिया। पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों ने भी इस आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। कुछ पर्यटकों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर बदल रहा है। उनका कहना था कि एक समय था जब लाल चौक पर गोलियां बरसती थी और आज यहां झंडे भी फहराए जाते हैं और अब यहां पूजा-पाठ भी किया जा रहा है। जहां लोग पहले इन सब चीजों से डरते थे और अब यहां के लिए हाथ फैला कर इन सब का स्वागत करते दिख रहे हैं।