तीन राज्यों में अवैध कोडीन कफ सिरप रैकेट पर ED की छापेमारी, कई कंपनियां जांच के दायरे में

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ED Cracks Down on Illegal Codeine Cough Syrup Racket: ईडी ने अवैध कोडीन कफ सिरप निर्माण और तस्करी रैकेट पर कड़ी कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 25 ठिकानों पर छापे मारे। दस्तावेज़, डिजिटल रिकॉर्ड और संदिग्ध सिरप स्टॉक जब्त। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच तेज।

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अवैध कोडीन-आधारित कफ सिरप निर्माण और तस्करी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसते हुए पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 25 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत की गई है और हाल के महीनों में फार्मा सेक्टर में अवैध व्यापार के खिलाफ सबसे व्यापक अभियानों में से एक मानी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, ईडी को इस बात के पुख्ता संकेत मिले थे कि कई कंपनियां निर्धारित सीमा से कहीं अधिक मात्रा में कोडीन कफ सिरप का उत्पादन कर रही थीं। ये सिरप — जो चिकित्सा उपयोग के लिए सीमित मात्रा में ही बनाए जा सकते हैं — कथित तौर पर नशे के रूप में बड़े पैमाने पर अवैध बाजारों में बेचे जा रहे थे और सीमावर्ती इलाकों में भी तस्करी की जा रही थी।

एजेंसी की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि उत्पादन संबंधी दस्तावेजों में हेराफेरी कर नियंत्रित उत्पादन दिखाया जा रहा था, जबकि असली उत्पादन अनधिकृत चैनलों के माध्यम से भेजा जा रहा था। भारी नकद लेनदेन, फर्जी बिलिंग, और सप्लाई चेन में शामिल ट्रांसपोर्टरों व बिचौलियों की भूमिका भी जांच की जद में है।

छापेमारी में ईडी ने महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डाटा, हार्ड ड्राइव और सिरप के स्टॉक के नमूने जब्त किए हैं। कुछ संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ भी की गई है, और एजेंसी जल्द ही और सम्मन जारी कर सकती है। खास बात यह है कि कई शेल कंपनियों के जरिए कथित मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत भी सामने आए हैं।

यह कार्रवाई राज्यों के ड्रग कंट्रोल विभागों द्वारा पहले की गई जांच का फॉलो-अप है, जिसमें लाइसेंसिंग अनियमितताओं और संदिग्ध उत्पादन डेटा की ओर संकेत किया गया था। कोडीन सिरप के दुरुपयोग से जुड़े बढ़ते मामलों ने केंद्रीय एजेंसियों को हस्तक्षेप के लिए मजबूर किया है।

ईडी अब इस पूरे नेटवर्क की विस्तार से मैपिंग कर रही है—निर्माण इकाइयों से लेकर वितरकों और खुदरा विक्रेताओं तक—ताकि यह समझा जा सके कि यह रैकेट वर्षों तक कैसे सक्रिय रहा। जांचकर्ताओं को संदेह है कि निगरानी तंत्र की कमियों का फायदा उठाकर यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ था।

विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिबंधित दवाओं के उत्पादन पर वास्तविक समय की निगरानी, कड़े लाइसेंसिंग नियम और नियमित ऑडिट भविष्य में ऐसे रैकेटों को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जांच आगे बढ़ने के साथ और गिरफ्तारियां और संपत्ति कुर्की की कार्रवाई संभव है। ईडी ने साफ किया है कि अवैध दवा कारोबार में शामिल किसी भी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे, ताकि नियंत्रित दवाएं अवैध बाजारों का हिस्सा न बन सकें।

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