
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिकी राजनीति में सबसे ऊंचे पद पर लौटने जा रहे हैं, जिससे इतिहास में एक अनोखी मिसाल कायम हुई है। अमेरिका के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब किसी राष्ट्रपति ने एक चुनाव हारने के बाद व्हाइट हाउस में वापसी की है। हालाँकि अमेरिका में आज तक किसी भी महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका नहीं मिला है, और कमला हैरिस भी इस सिलसिले को बदलने में असफल रहीं।
2020 की हार और वापसी की राह
साल 2020 में जो बाइडन से राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप का राजनीतिक करियर खत्म हो गया है। उनके पहले कार्यकाल में विवादों और आलोचनाओं की कोई कमी नहीं थी। यहाँ तक कि उनकी रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी कई नेताओं ने उनके फैसलों का विरोध किया था। ट्रंप के पुराने राजनीतिक सलाहकार ब्रायन लांज़ा के मुताबिक, “ट्रंप एक ऐसे इंसान हैं जो हारने के बाद और भी मज़बूत इरादों के साथ वापसी करते हैं। उनकी जीत मेरे लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है।”
एक बदले हुए नेता के रूप में वापसी
78 वर्षीय ट्रंप एक नए एजेंडे और अधिक वफादार समर्थकों के साथ व्हाइट हाउस में प्रवेश करने की तैयारी में हैं। चार साल पहले जहां वे एक हार का सामना कर चुके नेता के रूप में दिख रहे थे, अब वह एक अभेद्य राजनीतिक शख्सियत बन चुके हैं। इस बार उनका एजेंडा पहले से बड़ा और व्यापक होगा, और उनके समर्थकों का समूह भी कहीं अधिक मजबूत और समर्पित है।
2020 चुनाव के बाद की घटनाएँ
साल 2020 में जो बाइडन से हार के बाद, ट्रंप ने चुनाव परिणामों को अदालत में चुनौती देने का प्रयास किया, लेकिन अमेरिकी अदालतों ने उनके प्रयासों को खारिज कर दिया। इसके बाद, ट्रंप ने अपने समर्थकों को एक रैली में संबोधित किया, जहां उन्होंने कांग्रेस के प्रमाणन प्रक्रिया के दौरान संसद भवन पर धावा बोलने के लिए उकसाया। इस हमले के दौरान दर्जनों सुरक्षाकर्मी घायल हुए और उस घटना ने पूरे अमेरिका में हड़कंप मचा दिया। इस उथल-पुथल के बाद ट्रंप प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने पद छोड़ दिए, जिसमें शिक्षा मंत्री बेट्सी डेवोस और परिवहन मंत्री इलेन चाओ शामिल थीं।
रिपब्लिकन पार्टी और उद्योग जगत में विरोध
साउथ कैरोलाइना के सीनेटर और ट्रंप के करीबी लिंडसे ग्राहम ने भी उस वक्त सार्वजनिक रूप से ट्रंप का साथ छोड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा, “अब बहुत हो गया। मुझे अपने समर्थकों की सूची से हटा ही दें।” ट्रंप से बढ़ती दूरी का असर सिर्फ राजनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि उद्योग जगत पर भी पड़ा। अमेरिकन एक्सप्रेस, माइक्रोसॉफ्ट, नाइकी और वालग्रीन्स जैसी बड़ी कंपनियों ने रिपब्लिकन पार्टी को समर्थन देना बंद कर दिया था। ये कंपनियां इस बात से नाखुश थीं कि पार्टी ने चुनाव के नतीजों को चुनौती देने का समर्थन किया था।
ट्रंप की नई पारी का भविष्य
इस बार व्हाइट हाउस में वापसी करने वाले ट्रंप के सामने चुनौती होगी कि वह अपने पिछले विवादों और आलोचनाओं को पीछे छोड़ते हुए अमेरिकी जनता के विश्वास को फिर से जीतें। उनका विस्तारित एजेंडा और उनकी नई टीम इस राह को आसान बना सकते हैं।